नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय नें मोहर्रम के अवसर पर देश भर मंे जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे , एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने यूपी के याचिकाकर्ता को इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा । मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि सामान्य निर्देश देने से महामारी फैलने का खतरा है। वहीं समुदाय को महामारी फैलाने वाला बताकर निशाना भी बनाया जा सकता है। मोहर्रम पर जुलूस निकालने की इजाजत देने के लिए शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद की ओर से जनहित याचिका दाखिल की गई थी ।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत ने पुरी में यात्रा के लिए अनुमति दी थी । फिर यहां तो अनुमति भी पांच लोगों के लिए ही मागी जा रही है। इस पर पीठ ने कहा कि वह रथ खीचनें का मामला था और उसका स्थान चिहिृ्रत था । लेकिन मोहर्रम का मामला अलग है। सुप्रीम कोंर्ट ने कहा कि वे इस मामले में पूरे देश के लिए फैसला कैसे दे सकते हैं । पीठ ने कहा कि जुलूस निकालने की अनूमति देने से अराजकता की स्थिति पैदा होने की आशंका है और जनहित में इसकी अनुमति देना उचित नहीें है। अदालत ने याचिकाकर्ता को इसके लिए हाईकार्ट में याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी । गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में में सार्वजनिक समारोहों और धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगी है। ब्राडॅकास्ंिटग अथाॅरिटी मामलों को देखे: महामारी को लेकर मीडिया द्वारा मुस्लिम समुदाय की तबलीगी जमात को निशाना बनाए जाने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई स्थगित कर दी है। अदालत ने कहा कि पहले अथाॅरिटी और प्रेस काउसिल आफॅ इंडिया ने अदालत को बताया है कि उनके पास 50 शिकायतें लंबित है और वे इनकी जांच कर रहें है।