कालपी। इस्लामी साल का यह चौथा महीना है जिसे ग्यारहवीं शरीफ के नाम से जाना जाता है। इस मुबारक महीने की निस्बत (संबंध) बड़े पीर साहब से की जाती है। बड़े पीर दस्तगीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी रदियल्लाहो तआला अन्नो के नाम पर मोहल्ला मिर्जामंडी में एक गुबंद यादगार ए गौसे पाक बना हुआ है जिसमें हर साल ग्यारहवीं शरीफ के दिन हजारों लोग हिंदू मुस्लिम अपनी अपनी मन्नतों को लेकर हाजिर होते हैं लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से यहां के सारे प्रोग्राम को स्थगित कर दिया गया।
चंद लोगों ने इस बार फातिहा का प्रोग्राम आयोजित किया जिसकी अध्यक्षता बड़ी मस्जिद के इमाम हाफिज इरशाद अशरफी ने की। उन्होंने कहा कि इस बीमारी की वजह से इस साल के सभी त्यौहार सादगी के साथ मनाए गए हैं और आज ये ग्यारहवीं शरीफ का प्रोग्राम भी चंद हजरात के बीच संपन्न हुआ। उन्होंने इस मौके पर गौस पाक की फातिहा में दुआ की या अल्लाह हमारे मुल्क और सारी दुनिया से इस बीमारी का खात्मा फरमा दे। प्रोग्राम में दारुल उलूम के प्रिंसिपल मुफ्ती तारिक बरकाती ने अपनी तकरीर के संबोधन में कहा कि गौस ए आजम का मर्तबा और उनकी शानो अजमत तमाम वलियों से बढक़र है और उनकी करामातें बेशुमार हैं। मुफ्ती तारिक बरकाती ने बताया कि गौस ए पाक की जिंदगी हमारे लिए एक नमूना ए अमल है। हमें उनकी बातों पर अमल करना चाहिए और खूब तालीम हासिल करना चाहिए। इस प्रोग्राम में नात ख्वां गुलाम वारिस ने बेहतरीन अंदाज में कलाम पढ़े। इस मौके पर हाफिज नौशाद, हाफिज वसीम, हारून भाई, हाजी मुन्ना, वसीम अंसारी पूर्व सभासद, इस्माइल, राशिद सुनार, वकील सुनार, मु. तारिक, अब्दुल खालिक समेत कई लोगों ने फातिहा में शिरकत की और मुल्क से कोरोना वायरस के खात्मे की दुआ की।
जश्ने ताजदारे बगदाद में मुल्क की सलामती के लिए हुई दुआ
