जालौन-उरई ।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात महिला चिकित्सक हमेशा सुर्खियों में रहती है। अधिक मुनाफे के लिये महिला चिकित्सक हमेशा मरीजों को बाहर से अधिक महंगी दवाई तथा तमाम जांचें लिख कर एक ही चिन्हित पैथालॉजी तथा दवाई की दुकान पर जाने के लिये मरीजों को मजबूर करती हैं जिसके चलते दिन भर पैथोलॉजी के कर्मचारी अस्पताल घूमते रहते हैं। चिकित्सकों द्वारा लगातार चिकित्सालय में आने वाले मरीजों को महंगी व गैर जरूरी जांच कमीशन के चक्कर में लिखी जा रही है। महिला चिकित्सक गरिमा सिंह द्वारा लिखी गयी जांच व रिपोर्ट उनके बताये हुये पैथालॉजी से न कराये जाने पर चिकित्सालय में मरीज व चिकित्सक के प्राइवेट कर्मचारी के बीच जमकर बबाल मचा रहा।इतना ही नहीं अगर अस्पताल से मिली खबर की मानें तो मरीज के तीमारदार तथा महिला चिकित्सक गरिमा सिंह के बीच आपस में मारपीट की खबर भी मिल रही है। मरीज की शिकायत पर पहुंची पुलिस ने मरीज व परिजनों को शांत कराया।
प्रदेश सरकार लगातार सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने का प्रयास कर रही है। इसके लिए तमाम सुविधाओं के साथ दवाओं की उपलब्धता करायी जा रही है। इसके बाद भी स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक कमीशन के चक्कर में बाहर की दवाएं लिख रहे हैं तथा गैर जरूरी जांच लिख रहे हैं। अगर कोई मरीज इसका विरोध करता है उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है | बुधवार को 7 माह की प्रेग्नेंट महिला संध्या देवी पत्नी सुशील कुमार निवासी ऊद महिला चिकित्सक को दिखाने आयी थी। महिला चिकित्सक ने उसे अल्ट्रासाउंड, हीमोग्लोबिन, आर बी एस, एच आइ वी, एच बी एस, बी डी आर, ब्लड ग्रुप समेत तमाम जांच लिख दी।जांच लिखने के बाद प्राइवेट पैथोलॉजी का रास्ता बता दिया। किन्तु मरीज अपनी इच्छा से पैथोलॉजी पर जांच कराकर अस्पताल दिखाने आ गया।मनमाफिक पैथोलॉजी से जांच न कराने पर गर्भवती महिला की जांच रिपोर्ट देखने के लिए गेट पर बैठी पैथोलॉजी की महिला कर्मचारी ने उसे रोक दिया। जब निवेदन के बाद महिला कर्मचारी ने नहीं घुसने दिया तो महिला व उसकी सास जबरन घुसने लगी जिस पर विवाद हो गया तथा दोनों पक्षों में मारपीट हो गयी। पीड़ित मरीज ने इसकी शिकायत कर दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मौके पर टहल रहे पैथोलॉजी के युवकों को भगाया तथा महिला व कर्मचारियों को शांत कराकर मामला शांत करा दिया है। हालांकि किसी भी पक्ष ने घटना की लिखित शिकायत पुलिस से नहीं की है। नगर में सामुदायिक केंद्र में अनावश्यक जांच लिखने व जांच के नामपर मरीजों की जेब खाली कराने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है | जिलाधिकारी से बाहर की दवाएं व अनावश्यक महंगी जांच लिखने पर रोक लगाने की मांग समाजसेवी अनिल शर्मा, रहीस खान, मनीष कुमार, संतोष ने की है।