माधौगढ़- भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की बात करने वाली भाजपा सरकार में सरकारी कार्यालय आरटीआई के प्रति बेपरवाह हो चुके हैं। समय से सूचना ना देना,लोक सूचना अधिकारी ने अपना अधिकार समझ लिया है,क्योंकि जिलास्तरीय अधिकारी भी भ्रष्टाचार के दीमक को खत्म नहीं करना चाहते। आम जनता के पास एक आरटीआई ही ऐसा हथियार है। जिसकी दम पर वह भ्रष्टाचार का खुलासा कर सकता है लेकिन समय पर सूचनाएं ना मिलने से आरटीआई एक्ट का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है।
माधौगढ़ खंड विकास कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर आए दिन खबरें छपती रहती हैं लेकिन जब किसी विकास कार्य को लेकर सूचनाएं मांगी जाती है तो उन्हें दरकिनार कर टालने का प्रयास किया जाता है। असहना ग्राम पंचायत में बिना वित्तीय स्वीकृति के इंटरलॉकिंग डालने के मामले में आरटीआई से सूचना मांगने पर खुलासा हुआ कि उसमें फर्जी तरीके से एमव्ही कर भुगतान करा लिया गया लेकिन जनप्रतिनिधि के दबाव में अधिकारियों को कार्यवाही करने से रोक दिया गया। दूसरे विकास कार्यों की आरटीआई 4 सितंबर को मांगी गई लेकिन भ्र्ष्टाचार को दबाने के लिए सूचना नहीं दी गयी। उसके बाद 12 अक्टूबर को प्रथम अपील की गई,जिसका भी समय निकल गया। अब मामला राज्य सूचना आयोग में जायेगा लेकिन हठधर्मी अधिकारी कानून का मख़ौल उड़ाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। आरटीआई के ऐसे लापरवाह रवैया पर खंड विकास अधिकारी रमेश चंद्र शर्मा का कहना है कि जल्द ही सब कुछ ठीक करने का प्रयास करूंगा।
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माधौगढ़ विकास खंड के असहना ग्राम पंचायत में जमकर भ्र्ष्टाचार है प्रधान,पंचायत मित्र से लेकर सचिव तक भृष्टाचार की जांचों में दोषी साबित हो चुके हैं लेकिन एक जनप्रतिनिधि के प्रेशर में जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करने से बच रहे हैं। जितनी भी जांच होती है जनप्रतिनिधि उसके लिए अधिकारी को फोन कर फाइल को दबाने का दबाव डाल देते हैं।