उरई।
राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के अवसर पर मंगलवार को ग्राम जैसारी कला में देश की बात फाउंडेशन के तत्वावधान में रोजगार संसद का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामवासियों को समझाया गया कि देश को एक ऐसी नीति की आवश्यकता है जिससे सभी लोगों को रोजगार मिल सके। इस दौरान राष्ट्रीय रोजगार नीति को कानून बनवाने के लिये भविष्य में होने वाले आंदोलन की रूपरेखा ग्रामीणों के सामने रखी गयी।
देश की बात फाउंडेशन इण्डिया की स्टेट क्वार्डिनेटर डा. श्रद्धा चैरसिया ने बताया कि रोजगार के अधिकार को नागरिकों के मौलिक अधिकार के रूप में सूचीबद्ध कराने के लिये उनका फाउंडेशन गांव गांव में जनमत संगठित करने का प्रयास कर रहा है। जैसारी कला में आज इसी कड़ी में रोजगार संसद आयोजित की गयी जिसमें वक्ताओं ने बताया कि गलत नीतियों के कारण किस तरह से लोगों के रोजगार छिन रहे हैं जबकि नये रोजगार सृजित नहीं हो पा रहे हैं। रोजगार के नाम पर युवाओं को जितने कम मेहनताना में नियोजित किया जाता है उसमें वे अकेले भी अपना गुजारा नहीं चला सकते। ऐसे काम को रोजगार कहना झांसा देने के बराबर है। रोजगार के अधिकार के साथ यह भी शामिल है कि प्रत्येक कामगार को न्यूनतम वेतन और सारी आवश्यक सुविधायें हांसिल हों तभी उसके काम को रोजगार की श्रेणी में गिना जाये। कार्यक्रम में गांव की लाइब्रेरी को गोपाल राय द्वारा लिखी गयी सकारात्मक राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय रोजगार नीति का ड्राॅफ्ट भी दिया गया।
रोजगार संसद में हुये संवाद में मुकेश राजपूत, रोहित राजपूत, सनेश कुमार अहिरवार, गौरव चैधरी, मानवेंद्र, रईस, इरशाद, मुही आदि ने भाग लिया।