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Saturday, October 5, 2024

राज्य और समाज के सहयोग से सदानीरा बनेगी गवाईन नदी.-डॉ० संजय सिंह

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बांदा | गवाईन नदी मध्य प्रदेश से निकलती है और बांदा के ग्राम अच्छरौड़ में केन नदी से मिल जाती है लेकिन ग्रीष्म ऋतु आते ही नदी पूरी तरह सूख जाती है | इसको सदानीरा बनाने के लिए राज्य और समाज दोनों का आपसी सहयोग चाहिए. |यह विचार जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह ने विचार व्यक्त किये |  वे ग्राम लोहरा में स्वर्गीय सुनीता देवी शर्मा और पूर्व सांसद स्वर्गीय राम रतन शर्मा की स्मृति में आयोजित नदी पुनर्जीवन संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे  | उन्होंने कहा कि मैंने कई दिनों तक इस नदी पर अनुसंधान किया है जिसकी वजह से मुझे इस नदी के बारे में विस्तार पूर्वक ज्ञान मिला है ।

 

डॉ संजय सिंह ने कहा कि नदी एक विज्ञान है जैसे मनुष्य जीवित रहता है उसी प्रकार नदी भी जीवित होती है |  मात्र सफाई करने से नदी सदानीरा नहीं बनेगी इ| सके लिए ग्राम वासियों को और शासन व प्रशासन के लोगों को भी धैपूर्वक कार्य करना होगा | इस संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पदमश्री उमाशंकर पांडे ने कहा कि इस ग्राम में 100 लोग मेरा साथ दें| 100 डलिया एवं फावड़े की व्यवस्था करें तो मैं उनके साथ दिव्यांग होते हुए भी पैदल नदी के उद्गम तक जाऊंगा और पूरे नदी मार्ग की यात्रा करने के पश्चात 100 दिवसीय श्रमदान के पश्चात इस नदी को पुनः जीवित करने हेतु संपूर्ण प्रयत्न करूंगा | उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने ग्राम जखनी को राष्ट्र में एक मॉडल गांव के रूप में परिवर्तित किया है |  हर गांव में हर खेत में मेड और हर मेड पर पेड़ का सिद्धांत किसने लागू किया है उन्होंने कहा आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ग्राम में प्रतिवर्ष किसान 25000 कुंतल बासमती चावल पैदा कर रहे हैं जिसकी वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरी है|  उनके द्वारा बताया गया कि उनके ग्राम में छोटा सा छोटा किसान भी प्रतिवर्ष दो लाख रुपए की आय कर पा रहा है |

 

गोष्टी के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री हरिओम उपाध्याय ने कहा कि आपको स्वयं पर विश्वास करना पड़ेगा कि नदी को हम अपने श्रम द्वारा सदानीरा बनाएंगे | सरकार सहयोग कर दे तो अच्छा है | इस गोष्ठी के अध्यक्ष मंडल के द्वितीय अध्यक्ष प्रख्यात समाजसेवी रामकृष्ण शुक्ला ने कहा कि पानी से सब होता है बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून \ उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज पागल नहीं थे जो केन बनवाते थे जो तालाब बनवाते थे जो पेड़ लगाते थे क्योंकि इससे पर्यावरण बनता है मनुष्य के लालच ने इस सब का विनाश किया है इसलिए हमें फिर से नदी को सदानीरा बनाए रखने के लिए श्रमदान करना होगा | जब हम श्रमदान करेंगे तब सरकार भी सहयोग के लिए आगे आएगी | उन्होंने कहा पानी के प्रबंधन का बुंदेलखंड में सबसे अच्छा उदाहरण चरखारी है जहां सारे तालाब एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं और उनके माध्यम से ऊंचाई पर बने हुए ग्रामों  और नगर को पानी की सप्लाई होती थी | इस अवसर पर समाजसेवी के के गुप्ता,  अशोक त्रिपाठी जीतू , आनन्द सिन्हा, संजय मिश्रा ,लोक भारती के सदस्य अनिल शर्मा, प्रधान सुरेश रैकवार , पूर्व प्रधान अंगद मिश्रा , मदनपाल प्रकाश त्रिपाठी,  राम प्रसाद रैकवार , रमाकांत त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किये|  इसके बाद दो दिवसीय वॉलीबॉल मैच ग्राम गोरा में हुआ |

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