उरई।
पत्नी की हत्या करके शव को घर के अंदर वाले कमरे में गाड़ने के लिये जिला जज की अदालत ने पति को अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों व दलीलों के आधार पर दोषी पाते हुये आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने वाली सरसौखी गांव निवासी श्रीमती उर्मिला पत्नी कालीचरन ने बताया था कि उसने अपनी पुत्री की शादी अभियुक्त प्रमोद कुमार से 2011 में की थी। पहले सब कुछ ठीक ठाक चला। प्रमोद दिल्ली रहने लगा था। 2018 के बाद उसने विनीता के बारे में उर्मिला के पूंछने पर उन्हें कोई संतोषजनक जानकारी नहीं दी। वह कहता था कि विनीता उसी के पास दिल्ली में है। लेकिन जब उसने विनीता से बात कराने के लिये कहा तो उसने बात नहीं करायी। कई दिन तक वह इसी तरह टालमटोल करता रहा तो उर्मिला को संदेह हुआ और उन्होंने उच्चाधिकारियों को प्रमोद के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर जांच कराने की मांग की। इस पर प्रमोद को पुलिस ने उरई कोतवाली में बुलाया। पहले तो प्रमोद पुलिस को भी गुमराह करता रहा लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो प्रमोद को कुबूल करना पड़ा कि वह 2018 में ही विनीता की हत्या कर चुका है और लाश छिपाने के लिये उसने घर के अंदर वाले कमरे में गाड़ रखी है। इस पर पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर उसके कमरे में खुदाई की जिसमें से महिला का कंकाल निकला। उर्मिला को बुलाया गया तो उन्होंने कंकाल के साथ मिली साड़ी के आधार पर पुष्टि की कि यह कंकाल उसकी पुत्री का ही है।
उरई कोतवाली पुलिस में इसे लेकर मुहल्ला नया रामनगर उरई निवासी प्रमोद के खिलाफ 4 जनवरी 2020 को धारा 302 और 201 आईपीसी का मुकदमा दर्ज कर लिया। इस मामले में पुलिस ने प्रमोद के खिलाफ 2 मार्च 2020 को आरोप पत्र दाखिल कर दिया। अभियोजन पक्ष की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी लखन लाल निरंजन ने की। अभियोजन की ओर से 7 गवाह अदालत में पेश किये गये।
सुनवाई पूरी करने के बाद बुधवार को जिला जज लल्लू सिंह ने प्रमोद को दोनों धाराओं में दोषी ठहराते हुये 302 आईपीसी के तहत आजीवन कारावास व 1 लाख रूपये अर्थदण्ड और धारा 201 आईपीसी के तहत 3 वर्ष का कारावास और 25 हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई।