उरई. भाजपा के राज्यसभा सदस्य और प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने कहा कि दलितों की दुहाई देने वाली गैर भाजपा सरकारों की करनी उलटी है. उन्होंने बताया कि जब वे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग के अध्यक्ष थे तो उन्होंने सिफारिश की थी कि दलित हत्या के मामले में उसकी पत्नी को 8 लाख रूपये के मुआवजे के साथ जीवन पर्यंत 5 हजार रूपये की पेंशन दी जाए. उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने सबसे पहले इसका शासानादेश जारी किया जबकि दलितों की हिमायत का नाटक करने वाले विपक्षी दलों की राज्य सरकारों इस पर चुप्पी साध गयी .
गत दिनों जालौन टाइम्स से एक भेंट में उन्होंने कहा कि मुगलों के समय अन्य हिन्दुओं के साथ कोरी समाज़ पर भी बड़े अत्याचार हुए. बुनकरों से कहा गया कि या तो वे धर्म परिवर्तन के लिए मान जाएं या अपना पेशा त्यागने के लिए तैयार हो जाएं. आज जितने अंसारी हैँ वे हमारे ही समाज़ के लोग हैँ जो औरंगजेब के आतंक से डर गए थे. जिन लोगों ने धर्म नहीं बदला कोरी समाज़ के लोग दयनीय स्थिति में पहुंच गए. उनके पास ज़मीने थी नहीं, बुनकरी कर नहीं सकते थे. फाकाकशी को मजबूर हुए लेकिन धर्म नहीं छोड़ा.
उन्होंने कहा कि धर्म और देश के लिए कोरी समाज़ का योगदान अतुलनीय है. देश के लिए रानी लक्ष्मी बाई की सहयोगी झलकारी बाई बलिदान हुईं, सरदार ऊधम सिंह भी कोरी समाज़ के थे जिन्होंने जालियावाला बाग़ की सामूहिक हत्या के अपराधी जनरल डायर को लन्दन जा कर गोली मारने का काम किया. हमें गर्व है कि सारी दुनिया को नयी आध्यात्मिक लहर से ओतप्रोत करने वाले तथागत गौतम बुद्ध भी कोरी समाज से आये थे. महान कबीर ने भी इसी समाज़ में जन्म लिया. आज यह समाज़ राष्ट्रहित के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को मजबूत रखने के लिए कृत संकल्पित है.