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Sunday, September 8, 2024

अमिता साहित्य मंच के तत्वावधान में हुई काव्य संध्या एवम सम्मान समारोह शायर और कवियों ने अपने गीत और गज़लों से की प्रेम रस की बरसात

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उरई | राजेन्द्र नगर स्थित  वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी की अध्यक्षता में सिटी लाइफ स्कूल मंच के स्थापना दिवस पर  वीरेंद्र श्रीवास्तव की स्मृति में  काव्यगोष्ठी एवम सम्मान समारोह आयोजित किया गया | गोष्ठी की शुरुआत शिखा गर्ग की वाणी वंदना और शायर अख्तर जलील की नाते पाक से हुई |

संचालन कर रहे अभिषेक सरल ने पढ़ने के लिया पहले युवा कवि सौमित्र त्रिपाठी को बुलाया | उन्होंने पढा,तुमहारे लिए कुछ तराने लिखे हैं,वफाओं के मंज़र पुराने लिखे हैं | दिव्यांशु दिव्य ने पढ़ा -उलझनों से भिड़ने के सिवा कोई चारा नहीं है,युद्ध हमने जीवन में कोई हारा नहीं है | इंदु विवेक उदैनिया ने पढ़ा तेरे मन में मलाल है तो मलाल रहने दे,मेरे हाथों में गुलाबी गुलाल रहने दे | पुष्पेंद्र पुष्प ने पढ़ा गुजरती भीड़ में तन्हा हुआ हूँ,मैं अपने आप से सहमा हुआ हूँ | सिद्धार्थ त्रिपाठी ने सुनाया सोचते थे उन्हें भूल जाएंगे,हर सोच उन्हीं पे जा रुकती है हम क्या करें | कवियित्री शिखा गर्ग ने पढ़ा -एक क्षण भी कभी उर्मिला का नहीं ध्यान आया,भाई की सेवा में अपना सौमित्र ने मन लगाया | साहित्य सभा के अध्यक्ष अनुज भदौरिया ने पढ़ा ख्वाब का इक गीत बुनना चाहता हूँ, बस तेरी आवाज़ सुनना चाहता हूँ | अभिषेक सरल ने पढ़ा सुनने और पढ़ने वाले को क्या पता लिखने वाला कितना रोया होगा,शब्द शब्द हर्फ़ हर्फ़ उसने आँसुओं से धोया होगा | शायर अनवार साहब ने पढ़ा हुस्न वालों में अदाओं का हुनर होता है,

जिसको चाहें उसे दीवाना बना लेते हैं | वरिष्ठ कवियित्री माया सिंह माया ने पढ़ा आज के दौर में हर वक़्त सम्भलना होगा है | खतरनाक सफर होश में चलना होगा | साहित्य सभा के संयोजक पहचान के अध्यक्ष शफी कुर्रहमान कशफ़ी ने पढ़ा रक्खी हैं मेरे सामने दुनियाँ की नेमतें,लज़्ज़त थी जिसमें माँ की वो रोटी को खो दिया,अख्तर जलील ने पढ़ा दिल धड़कता है परेशान बहुत होता है,इश्क़ के खेल में नुकसान बहुत होता है,राम शंकर गौर ने पढ़ा,हरित वृक्षों को मत काटो प्रकृति के प्राण से हैं,अडिग वर्षा शिशिर ग्रीष्म तपोरत ध्यान से हैं,ब्रह्म प्रकाश दीपक ने पढ़ा दुआ माँगी तो ये नेअमत आ गई ,दरे दिल तक मुहब्ब्त आ गई है,वरिष्ठ कवियित्री विमला तिवारी विमल,प्रगति मिश्रा आशीष शर्मा ने भी इस दौरान काव्यपाठ किया |   अंत में वरिष्ठ साहित्यकार यज्ञदत्त त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ यदि पुराने पत्ते गिरकर वृक्ष की शाखा न छोड़ें,तो नवल किसलय कहाँ किस डाल से सम्बंध जोड़ें,इस दौरान तांचाल सर,अंकित कुलश्रेष्ठ ,अवध नारायण द्विवेदी सहित अन्य लोग सभी का उत्साह वर्धन करते रहे |

 

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