बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में आजादी के 75 साल बाद भी पानी भरने के लिए जातिगत व्यवस्था कायम है। आपको सुनकर अजीब लग सकता है, लेकिन यह हकीकत है। टीकमगढ़ जिले के ग्राम पंचायत सुजानपुरा में ऐसा मामला देखने को मिला है। यहां पानी भरने के लिए जनरल, ओबीसी और एससी के लिए अलग-अलग तीन कुंए हैं।
*ग्राम पंचायत सुजानपुरा में जाति के आधार पर बने हैं कुंए*
संविधान ने समाज को तीन वर्गों में बांटा है, जिसमें सवर्ण, पिछड़ा और हरिजन आते हैं। इसी तरह इस ग्राम पंचायत में भी पीने वाला पानी भरने के लिए तीन कुंए बनाए गए हैं। यह व्यवस्था आज से नहीं बल्कि ब्रिटिश शासन काल से चली आ रही है। इस गांव में सवर्ण, पिछड़ा वर्ग और हरिजन के लिए ग्राम पंचायत ने अलग अलग कुंए बनाए हैं। तीनों एक साथ एक ही स्थान पर हैं। किसी की क्या मजाल कि पिछड़ा वर्ग का कुआं खाली हो और हरिजन उस पर पानी भरने के लिए चला जाए।
*सामाजिक वर्ण व्यवस्था पर आधारित है कुंआ*
आजादी के बाद जितनी सरकारें आईं सभी ने सामाजिक वर्ण व्यवस्था को खत्म करने की बात कही। बीते कई साल गुजर गए और आजादी मिले 75 साल हो गए, लेकिन इस ग्राम पंचायत सुजनपुरा में पानी के लिए जो कुंए बनाए गए हैं, वह आज भी वर्ण व्यवस्था पर आधारित हैं।
*एक लाइन में तीन कुंए*
बता दें कि यहां का तापमान 42 डिग्री होते हुए भी तीनों कुओं पर सुबह से पानी भरने के लिए लाइन लगी रहती है। दोपहर होते-होते इन कुओं पर पानी लेने वालों की संख्या कम हो जाती है। अगर हरिजन के कुंए पर भीड़ है और सामान्य का कुआं खाली पड़ा है, तो हरिजन के लोग सामान्य या पिछड़े के कुएं से पानी नहीं भर सकते हैं। गांव के रहने वाले राजेश वंशकार कहते हैं कि हरिजन के लिए जो कुआं खोदा गया था, वह खंडहर हो चुका है। ऐसे में वह लोग अन्य कुंए से पानी नहीं भर सकते हैं। इसके लिए उन्हें गांव से 2 किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है।
गांव के ही रहने वाले राजकिशोर कहते हैं कि यह व्यवस्था आज से नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है। इसको लेकर ना तो किसी समाज या जाति में ग्लानी है ना ही कभी भेदभाव होता है। यह व्यवस्था तो हजारों साल पुरानी है। ग्राम पंचायत में सभी समाज जाति के लोग सौहार्द पूर्वक निवास करते हैं। सरपंच प्रतिनिधि रामसेवक यादव कहते हैं कि ग्राम पंचायत में अलग अलग जातिगत मोहल्लों ने कुंआ की व्यवस्था बना ली थी, जो आज से नहीं सैकड़ो वर्षों से चली आ रही है। आज तक ना तो पंचायत में कोई विवाद हुआ है और ना ही इस तरह की समस्या कभी सामने आई है, जिस कारण से प्रशासन ने भी कोई पहल नहीं की है।
*सामाजिक न्याय मंत्री केंद्र में इसी लोकसभा से*
भारत सरकार में सामाजिक न्याय केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक टीकमगढ़ लोकसभा से हैं, जिसमें यह ग्राम पंचायत आती है। गांव के रहने वाले जग्गू अहिरवार कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति एक दूसरे के कुएं से पानी भर लेता है, तो लड़ाई झगड़ा हो जाता है। मामला पुलिस तक पहुंच जाता है। इसलिए सभी समाज के लोग अपनी अपनी मर्यादा में रहते हैं। टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक राकेश गिरी गोस्वामी कहते हैं कि अभी इस तरह का मामला उनके सामने नहीं आया है। अगर ऐसी व्यवस्था है तो वह इस मामले को संज्ञान में लेंगे।