उरई | ज़िला प्रोग्राम अधिकारी इफ्तखार हबीब साहब की सदारत और ज़िला प्रोबेशन अधिकारी डॉक्टर अमरेंद्र जी के मुख्य आतिथ्य में उत्तर प्रदेश साहित्यसभा जालौन एवम पहचान संस्था के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य सभा के अध्यक्ष अनुज भदौरिया के आवास पर उनके पुत्र अनमोल के जन्मोत्सव पर शानदार मिला जुला साहित्यिक समागम आयोजित हुआ जिसमें एक से बढ़कर एक गीत , ग़ज़ल मुक्तक सुनाये गए | साहित्य सभा के संयोजक एवम पहचान के अध्यक्ष शायर शफीकुर्रहमान कशफ़ी के संचालन में कवियित्री प्रियंका शर्मा की वाणी वंदना और शायर अनवार साहब की नाते पाक से शुरू हुआ प्रोग्राम देर रात तक चला |
वहीं प्रगति मिश्रा ने पढ़ा,अपने भावों की गंगा से तुम्हारा करती अभिनंदन,मेरे भईया जन्मदिन पर है बंधन और अभिनंदन,इसके बाद राघवेंद्र कनकने ने पढ़ा-हमीं को गुनगुनाया जा रहा है,हमीं से छिपाया जा रहा है | इंदु विवेक उदैनिया ने पढ़ा _ आओ मिलकर पेड़ लगाए सुंदर धरा बनाएं,जैसी थी प्रकृति पहले पहले सा उसे बनाएं | कवियित्री प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम ने पढ़ा- दिखता सबको नूर हमारी आंखों में,तेरी जो तस्वीर उतारी आंखों में | हास्य के शायर असरार मुक़री ने पढ़ा -अजायबघर की अलमारी के काबिल हो गए मुक़री,पुराने लोग उल्लू हैं नई सन्तान के आगे, |अतीक सर ने पढ़ा -कैसे मिलते हैं लोग ख्वाबों में,हम भी सोए तो ख्वाब देखेंगे | शिरोमणि सोनी ने पढ़ा, बस इक मुस्कान के बदले तुम एक मुस्कान दे देना,न चाहूँ कुछ भी तुमसे मैं नेह का दान दे देना | शिखा गर्ग ने पढ़ा,जन्मदिन हो मंगलदायक तुम्हें सदा अनमोल,सपने सब पूरे हों मन में खुशियाँ करें कलोल | अध्यक्ष अनुज भदैरिया ने पढा – शुभ जन्म दिवस प्रिय अभिजित तुमको कष्ट न आये किंचित,सुख से कभी न होना वंचित सबको देना प्रेम व आदर रखना संस्कार को संचित | सिद्धार्थ त्रिपाठी ने पढ़ा _ धन के आगे पागल होते इंसानों को रूप दिखा दो,ओ मेरे मनमीत सुना दो सुंदर सा कोई गीत सुना दो अख्तर | गरिमा पाठक ने पढ़ा – डालने ख़्वाबों को सजाकर आगे आ जाना,पिता पुत्र का रिश्ता है अनमोल इसे हर दम निभा जाना | शायर अख्तर जलील ने पढ़ा,दर्दे दिल की मुझे दवा देना,मुझसे मिलना तो मुस्कुरा देना,किरपाराम कृपालु ने पढ़ा,जन्मदिवस हो मुबारक अये बेटा अनमोल ,आशीष तीन प्रकार कीछोटी बड़ी मझोल | ,शायर अनवार साहब ने पढ़ा,दुनियां में तू किसी से ज़रा दिल लगा के देख,हो जाएगा वो तेरा ज़रा मुस्कुरा के देख | संचालन कर रहे शायर कशफ़ी ने पढ़ा,अपने कुल का भी मान छू लेगा
शौर्य की हर उड़ान छू लेगा,,
शर्त है हौसला बढ़ाएँ हम मिलकर,
अनमोल आसमान छू लेगा |
वरिष्ठ कवियित्री माया जी ने पुत्र को ढेरों आशीर्वाद दे कर कई गीत पढ़े | मुख्य अतिथि डॉक्टर अमरेंद्र पोतस्यायन जी ने पढ़ा -कितने अंगारों पर, चला हूं मैं तेरी चाहत में,
पांव के छालों ने, दिल को बहुत सुकून दिया,
जब भी बेचैन हुआ, मन तुम्हारी यादों से
आंखों की बरसात ने, दिल को बहुत सुकून दिया
कार्यक्रम की सदारत कर रहे ज़िला कार्यक्रम अधिकारी इफ्तखार अहमद हबीब ने अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि मैं हमेशा साहित्यकारों की हर सम्भव मदद के लिए तत्पर हूँ | ये मेरा साहित्यिक परिवार है | फिर उन्होंने पढा,हमें कोई सहारा दे रहा है,निगाहों से नज़ारा दे रहा है,,कोई देता नहीं मिट्टी खुशी से,कोई आंखों का तारा दे रहा है | इनके अलावा महेश प्रजापति,ब्रह्मप्रकाश दीपक,संजय शर्मा,सौमित्र त्रिपाठी,अभिषेक सरल,दिव्यांशु दिव्य आदि लोगों ने भी काव्यपाठ किया | तांचाल सर,अवधनारायण द्विवेदी सहित बहुत लोग मौजूद रहे |