उरई। गुरु गोविंद सिंह जयंती यहां प्रकाशोत्सव के रूप में मनाई गई। गुरुद्वारे में हुए आयोजन में मुख्य ग्रंथी मुकेश सिंह व हरजीत सिंह सहित सिक्ख धर्म के अन्य जानकारों ने गुरु गोविंद सिंह जी के संघर्ष और बलिदान से संबंधित एतिहासिक दस्तावेज पढ़े ताकि आने वाली पीढ़िया भी देश और कौम के स्वाभिमान को बचाने के लिए मर मिटने की प्रेरणा ले सकें।
सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह की जयंती के लिए पांच दिन पहले से तैयारियां शुरू हो गई थी। जिसके तहत हर रोज प्रभातफेरी निकाली जा रही थी और सिमरन व अखंड पाठ चल रहा था। आज सवेरे से ही राठ रोड स्थित गुरुद्वारे में मत्था टेकने का सिलसिला शुरू हो गया। गुरु ग्रंथ साहब के सामने पूरे दिन शबद कीर्तन होता रहा। इसके बाद संगत आयोजित हुई जिसमें हरजीत ंिसंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह 16 दिसंबर 1666 को पटना में जन्में थे। जबकि उन्होंने अपना नश्वर शरीर दक्षिण भारत में नादेड़ में छोड़ा। उन्होंने बताया कि देश और धर्म के लिए उनके पिता गुरु तेगबहादुर ने अपना शीश कटाकर कुर्बानी दी थी। इसका सिलसिला गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों ने भी जारी रखा। उनके परिवार के पांच सदस्य देश और कौम के स्वाभिमान के लिए बलिदान हुए। कुर्बानी का ऐसा उदाहरण दुनियां में कहीं देखने को नही मिल सकता।
लेखराज जी, आज्ञा सिंह, जसवंत सिंह, हरदयाल सिंह, पुरुषोत्तम सिंह और हरदीप सिंह ने भी गुरु गोविंद सिंह के जीवन वृतांत और सिक्ख धर्म के मानवता वादी उददेश्यों पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला। इस अवसर पर गुरुद्वारे में आयोजित लंगर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद चखा।






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