उरई। प्रख्यात श्रीमद्भागवत एवं मानस प्रवक्ता पुरूषोत्तमशरण शास्त्री ने श्रीरामचरित मानस पर प्रवचन करते हुए कहा कि मानस एक अद्वितीय ग्रन्थ है। इसमें श्रीराम की लीलाओं के माध्यम से संसार का सार समाया हुआ है। संसार का कोई भी व्यक्ति गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस में अपनी एवं अपने परिवार की झांकी को पा सकता हैं अपनी समस्याओं का निरस ठूंठ सकता है।
वह सोमवार को उरई में अम्बेडकर तिराहे के निकट श्री वांकेविहारी जन कल्याण समिति द्वारा आयोजित नवम दिवसीय श्रीरामकथा कार्यक्रम के द्वितीय दिवस प्रवचन कर रहे थें। इस कथा के मुख्य यजमान श्री राकेश पोरवाल एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऊषा पोरवाल है शास्त्री जी के मानस के सम्बन्ध मे ंअपनी वात को विस्तार देते हुए कहा कि मानस मेें वेदपुरान ईश्वर, जीव, समाया है। मानस में गुरू, शिष्य, एवं तीन समुद्र समाये है। एक समुद्र संत, दुसरो समुद्र असंत, तीसरा समुद्र वेदंात, तीन को समझना बहुत कठिन है। आगे गुरूजी ने बताया कि भगवान श्रीराम का चरित वन्दनीय हैं, कर्णीय है, ‘‘प्रातकाल उठके रघुनाथा, मात-पिता गुरू नावहिं माथा।’’
बिनहिं विचार कीजिए शुंभजानी।
मानस एक कल्पतरू है कल्पतरू के नीचे जो भी जाता है जिस वस्तु की कामना करता है उसे वह तुरन्त प्राप्त कर जाता है।
किन्तु मनुष्य अपने मोह माया मंे फसा हुआ रहता है अपने स्वार्थ के निर्मित वस्तुयें मांगता रहता है।
‘‘रामायण सुर तरू की छाया, दुखः भय दूर निकट जो आया।’’
आगे महाराज जी ने बाबा तुलसीदास जी की अदभुत कार्याे का बखान करते हुए काशी नरेश और दृविण नरेश की भावपूर्ण कहानी सुनाकर सब को भाव विभोर कर दिया
संत तुलसीदास जी महान विद्वान थे संस्कृत के प्रकांड़ विद्वान थें उन्होने पहले रामायण संस्कृत भाषा में लिखाी थी ऐसा कहा जाता है। किन्तु उनके लिखे हुए श्लोक गायब हो जाते थे बाद में उन्हे हिन्दी मे रामायण लिखने का आदेश हुआ। तब उन्हे सुन्दर चैपाई, दोहा, छन्द तां संगीत से पूर्ण है का वर्णन कियां मानस अद्वितीय है बाबा तुलसी का एहसान चुकाया नहीं जा सकता उन्होने मानस को घर-घर पहुॅंचा कर राम नाम क अनूठी अलख जगाई हैं। राम नाम की महिमा का गुणगान करते हुए कथा का रामायण आरती एवं भजम द्वारा किया।






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