कोंच-उरई। सूखे से त्रस्त किसानों को उनकी फसलें बचाने के लिए ऊपर वाले का ही आसरा था सो ऊपर वाले ने उनकी सुन ली और आसमान पर छाये बादलों ने अपनी शर्म छोड़ कर रहमतों की बारिश कर ही दी, अलबत्ता इस टिमटिम ने बाजारों की रौनक जरूर कम की है और ग्राहक बाजार से नदारत दिखे। हालांकि दो दिन पहले ही नेट भगवान ने बारिश होने के पूर्व संकेत दे दिये थे लेकिन क्या है कि इन आधुनिक भगवान पर लोगों का भरोसा कम जमता है किंतु उन्होंने अपनी प्रामाणिकता बनाये रखने का पूरा प्रयास किया है।
आज सबेरे से ही छिटपुट बूंदाबांदी का दौर शुरू हो गया था जो अभी भी फिलहाल जारी है। किसानों की अगर मानें तो यह महज पानी की चंद बूंदें नहीं हैं बल्कि आसमान से टपकता अमृत है जिससे सूखती मुरझाती फसलों को संजीवनी मिलेगी। बताना समीचीन होगा कि गुजरे साल अतिवृष्टि और ओलावृष्टि ने बुंदेलखंड में ऐसी तबाही मचाई थी कि किसानों की रवि की फसलें पूरी तरह से चैपट हो गई थीं, नब्बे प्रतिशत तक हुये नुकसान ने किसानों को भुखमरी जैसी स्थिति में ला पटका था और सरकार ने हल्का फुल्का मुआवजा दे उनके आंसू पोंछने की कोशिश की थी। इसके बाद किसानों को थोड़ी बहुत उम्मीद खरीफ की फसल से थी, लेकिन वह भी दगा दे गई और सूखे की भेंट चढ गई। एक एनजीओ द्वारा हाल ही में बुंदेलखंड इलाके का सर्वेक्षण किया गया था जिसकी रिपोर्ट में यहां के किसानों की भयावह तस्वीर का जो जिक्र किया गया था वह काफी चैंकाने वाला था। किसानों की बदहाली की दास्तां का शोर दिल्ली में भी सुना गया और सरकार, सत्तादल तथा विपक्ष की दौड़ें इस उजाड़ इलाके की ओर लगने की होड़ें सी लग गई। किसानों श्याममोहन, प्यार मोहम्मद, इस्माइल बौरे आदि की अगर मानें तो हालांकि अब तक लगभग पचास फीसदी फसलों का नुकसान हो चुका है, लेकिन नमी की कमी के चलते फसलों के सूखने का जो क्रम लगातार बना हुआ था उस पर जरूर इस पानी से ब्रेक लग सकेगा और फसलों को नया जीवन मिल सकेगा।






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