उरई(जालौन)। जिलाएवं शहर कांग्रेस कमेटी के संयुक्त तत्वाधान में भारत रत्न दलितोंके मसीहा देश के पथ प्रदर्शक बोधित्सव संविधान निर्माताबाबा साहब डा. भीमराव अंबदेकर का 61 वां महा परिनिर्वाण दिवस अंबदेकरचैराहा स्थित अंबेदकर प्रतिमा पर मनाया गया। इस अवसर बाबा साहब कीप्रतिमा पर माल्यार्पण करने के पश्चात एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजनकिया गया जिसमें बाबा साहब के जीवन चरित्र के बारे में विस्तार से चर्चा कीगयी।
कार्यक्रमकी अध्यक्षता करते हुये चैधरी श्याम सुंदर व संचालन करते हुये डा.रेहान सिद्दीकी ने कहा कि बाबा साहब विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री,राजनैतिक समाजशास्त्री, मानव विज्ञानी, संविधान विधि लेखकदार्शनिक, इतिहासकार, समाज सुधारक एवं भारत के संविधान केशिल्पकार थे। बाबा साहब को विश्व इतिहास में प्रथम सबसेप्रतिभाशाली व्यक्ति घोषित करके उनका गौरव किया।उन्होंने छुआछूत को खत्म करने के लिये कांग्रेस के नेतृत्व में समतामूलक समाज की स्थापना करते हुये दलितों को आरक्षण की व्यवस्थासुनिश्चित करायी थी। अशोक द्विवेदी, केके गहोई, अमितपांडेय, अभिषेक, सुरेश शांडिल्य ने कहा कि बाबासाहब ने सर्व समाज के हितों की रक्षा के लिये बात की लेकिन तत्कालीन केंद्रकी मोदी सरकार समजा को जाति, धर्म, वर्ग एवं सम्प्रदायों में बांटने काकाम कर रही है। आज समाज में इस तानाशाही मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले स्वरूप देश में जो आर्थिक अराजकता का माहौल तैयारहुआ है उससे देश की शांति व्यवस्था खतरे में हैं जिस परमोदी सरकार संवेदनहीन बनी हुयी हैं आज से प्रदेश में अनुसूचितविभाग के द्वारा शिक्षा, सुरक्षा और स्वाभिमान के संकल्प को लेकरकांग्रेस की दलित यात्रा आज से अटरिया ग्राम से प्रारंभ होगी जिसमें 27साल से प्रदेश में दलितों को गुमराह कर सर्वसमाज स हटाने का कार्यक्षेत्रीय दलों द्वारा किया गया है। अब दलितों को जागरूक करने का कामसंतराल नीलांचल व चै. श्याम सुंदर, महेश दोहरे, अखिलेशचैधरी के नेतृत्व एक दिन में एक ग्राम के दलितों को एकत्रित कर समझानेका काम करेंगे। समारोह में रामेश्वर दयाल दीक्षित, अखिलेशचैधरी, राजीव नारायण मिश्रा, सरोज वर्मा, गुलाब खान, राजीव तिवारी,अशोक सक्सेना, बब्लू महाराज, वीरेंद्र दीक्षित, गयाप्रसाद राजपूत,आरडी पाल, बृजेश प्रजापति, बृजमोहन सिंह, रमेश चक्रवर्ती,प्रमोद कुमार सिंह राजपूत सहित अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। अंत मेंसभी ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के निधन पर उनकी आत्मा की शांतिहेतु दो मिनट का मौन धारण करते हुये उन्हें उद्धांजलि अर्पित की गयी।

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