0 पहली दिसंबर से स्टेट बैंक ने नहीं दी फूटी कौड़ी
कोंच-उरई। इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक के खाताधारक आजकल मुफलिसी के दौर से गुजर रहे हैं, आज सामी में अधिकारियों ने जब जन चैपाल लगाई तो वहां सामी स्थित शाखा का नजारा जहां देखने लायक था वहीं बैंक में कैश नहीं होने की विकट समस्या से भी सामना हुआ। बैंक शाखा के बाहर महिलाओं का जत्था भुगतान के लिये बैठा था लेकिन बैंक शाखा में कैश नहीं होने के कारण उनकी मुराद पूरी नहीं हो सकी। बैंक प्रबंधन द्वारा बताया गया कि स्टेट बैंक ने उन्हें (ग्रामीण बैंक की सभी शाखाओं को) कैश देने से साफ मना कर दिया है जिससे वह खाताधारकों को भुगतान नहीं दे पाने की स्थिति से दो चार हो रहे हैं।
पीएम मोदी के नोटबंदी के पुैसले का सबसे बुरा असर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है। गांवों में संचालित ग्रामीण बैंक की शाखायें कैश नहीं होने की किल्लत से जूझ रही हैं। आज सामी गांव स्थित इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक में लगभग सन्नाटा पसरा था लेकिन भुगतान निकालने आईं तमाम महिलायें दूर बैठी इस इंतजार में थीं कि शायद कोई पैसा जमा कराने बैंक शाखा में आ जाये तो उन्हें कम से कम दो हजार रुपये का भुगतान मिल जायेगा। बैंक के कार्यवाहक प्रबंधक कमलेश कुमार का साफ कहना है कि उनके पास कैश नहीं होने की स्थिति में भुगतान नहीं हो पा रहे हैं। जब उनके पास पैसा आ जाता है तो बैंक शाखा प्रति ग्राहक दो हजार का भुगतान कर देती है। उन्होंने बताया कि गुजरी पहली दिसंबर से स्टेट बैंक ने ग्रामीण बैंक को फूटी कौड़ी नहीं दी है जिसके चलते उनके सामने भुगतान देने की विकट समस्या है, जब कहीं से पैसा आ जाता है तो वह भुगतान कर देते हैं। बताया कि उच्च लेबिल पर रिजर्व बैंक की कानपुर शाखा से चार दिनों के लिये एक करोड़ रुपया दिया जाता है जो 52 शाखाओं में बांट दिया जाता है। अब ऐसी स्थिति में कैसे और कितना भुगतान वह लोगों को दे सकते हैं, यह बड़ा सवाल है।






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