0 तीन गांवों बसीठ, राजीपुरा और सामी में अधिकारियों ने लगाई जन चैपालें
0 बसीठ और राजीपुरा के प्रधानों ने दूरी बनाई चैपालों से
कोंच-उरई। शासन के निर्देश पर आज अधिकारियों ने विकास खंड नदीगांव की कनासी और पचीपुरी न्याय पंचायत के तीन गांवों बसीठ, राजीपुरा और सामी में जन चैपालें लगाईं जहां ग्रामीणों द्वारा उन्हें छिटपुट शिकायतों से अवगत कराया गया। अधिकारियों ने ग्रामीणों को शासन द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में बताया। बसीठ और राजीपुरा के ग्राम प्रधानों ने सूचना मिलने के बाद भी चैपालों में शिरकत करना मुनासिब नहीं समझा।
सशक्त गांव विकसित प्रदेश की अवधारणा के तहत एसडीएम मोईन उल इस्लाम तथा तहसीलदार भूपालसिंह ने आज कनासी न्याय पंचायत के ग्राम बसीठ में पहली चैपाल लगाई। यहां उन्होंने शासकीय योजनाओं के बारे में ग्रामीणों को अवगत कराते हुये उनकी भी समस्यायें जानीं। गांव में एक हैंडपंप खराब बताया गया जिसे ठीक कराने के निर्देश दिये गये। राशन कार्ड नहीं बटने की शिकायत पर उन्होंने जल्दी ही बटवाने का भरोसा दिया। दूसरी चैपाल राजीपुरा में लगाई जहां बताया गया कि गांव में सफाईकर्मी पिछले चार-पांच महीने से नहीं आने की शिकायत मिली। आंगनबाड़ी मिथलादेवी को भी ग्रामीणों ने लापता बताया। एसडीएम ने इसकी जांच के आदेश दिये। ग्राम सलैया बुजुर्ग में भी चैपाल का आयोजन किया गया जहां सफाईकर्मी नहीं होने की बात सामने आई। गांव में एक खराब हैंडपंप को भी ठीक कराने के निर्देश दिये गये। ग्राम सामी की चैपाल में शिकायत सामने आई कि जिसके नाम कोटा है वह पिछले पंद्रह सालों से लोगों के सामने ही नहीं आया, उसका कोटा प्रतिनिधि द्वारा चलवाया जा रहा है। बूथ संख्या 418 व 419 इंटर कॉलेज में पेयजल व्यवस्था के लिये लगा एकमात्र हैंडपंप गंदा पानी दे रहा है। इस दौरान एडीओ समाज कल्याण वीरेन्द्र निरंजन, सचिव शीलनिधि शुक्ला, जेई विद्युत ग्रामीण संजय, प्रधान सामी शशिदेवी के प्रतिनिधि अरविंदकुमार, सतीश सामी आदि मौजूद रहे।
हाल-ए-शिक्षा, किताबों के बारे में भी नहीं बता सके गुरुजी
जन चैपाल लगाने ग्राम राजीपुरा पहुंचे एसडीएम मोईन उल इस्लाम ने वहां के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा का स्तर परखने की जब कोशिश की तो उन्हें बुरी तरह से निराशा हाथ लगी। उन्होंने विद्यालय में पदस्थ हैडमास्टर विवेक सोनी को बुला कर पूछा कि किताबें बटी कि नहीं तो गुरुजी बगलें झांकने लगे। कौन कौन सी किताबें किस कक्षा में चलती हैं, के सवाल पर भी गुरुजी लाजबाब दिखे। यह स्थिति देख एसडीएम काफी खिन्न दिखे। स्कूल में होने बाली प्रार्थना भी गुरुजी नहीं सुना सके। कुल मिला कर शिक्षक का होना न होना एक जैसा ही लगा एसडीएम को। उनसे ज्यादा ज्ञान तो स्कूल के बच्चों में दिखा। ग्रामीणों की भी शिकायत रही कि स्कूल भगवान भरोसे ही चल रहा है और उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा, इस बारे में भी सशंकित हैं।
फोटो-कोंच5-गुरुजी की क्लास लगाते एसडीएम






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