उरई। शीत लहर से गरीबों के बचाव के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने के नाम पर माधौगढ़ में नगर पंचायत द्वारा मजाक हो रहा है। इसकी वजह से निराश्रितों और राहगीरों में बेहाली का आलम है।
प्राकृतिक आपदा के समय जनजीवन के बचाव और राहत के लिए अच्छा खासा बजट आवंटित होता है लेकिन इसका दुरुपयोग आम रिवाज बन चुका है। जिस पर सरकारें बदल जाने के बावजूद अंकुश नही हो पा रहा। इससे पता चलता है कि पार्टी और नेता कोई भी हों उनके लेवल अलग-अलग रहते हैं पर सब में है एक ही माया।
इस समय शीत लहरी से बचाव के लिए आवंटित बजट में वैसे तो पूरे जिले में जिम्मेदार लोग कफन खसोट मानसिकता का परिचय दे रहे हैं लेकिन नगर पंचायत माधौगढ़ इस होड़ में सबसे आगे हैं। नगर पंचायत ने मात्र सात स्थानों पर अलाव जलवाने की व्यवस्था की है जबकि यह जरूरत के सापेक्ष ऊट के मुंह में जीरा से भी कम है। लोगों का कहना है कि वास्तविक शीत सुरक्षा के लिए कस्बे में कम से कम दो दर्जन स्थानों पर अलाव जलना चाहिए।
उधर जहां अलाव जल भी रहा है वहां केवल खानापूरी हो रही है। एक बार कुछ लकड़ी डालकर अलाव सुलगाने का स्वांग कर दिया जाता है लेकिन कुछ मिनटों बाद ही यह लकड़ी खत्म होने के साथ अलाव शांत होने लगता है तब तक नगर पंचायत के कर्मचारी गायब हो जाते हैं। इसके साथ ही बेसहारा और मोहताज लोगों का न केवल सुकून छिन जाता है बल्कि उनकी जान तक पर बन आती है। शीत लहर जनसंहार का सबब साबित हो इसके पहले ही उच्चाधिकारी हस्तक्षेप करें। तांकि सार्थक अलाव नगर पंचायत क्षेत्र में जलवाये जा सकें।






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