उरई। जच्चा-बच्चा सुरक्षा के लिए सरकार संस्थागत प्रसव को भरपूर बजट देकर प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन भ्रष्टाचार के चलते सरकारी अस्पतालों की छवि नवजातों की कब्रगाह के रूप में उभरने के चलते इस कवायद पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
सरकारी अस्पतालों में डिलवरी केस आने पर कैसी लापरवाही का परिचय दिया जाता है इसके किस्से रोजाना सामने आते हैं। फिर भी सरकार का कोई जोर स्वास्थ्य महकमें पर नही चल पा रहा।
गुरुवार को ऐसे ही कारणों से प्रसव के लिए आई ग्राम ऊमरी निवासी महिला की हालत गंभीर हो गई। परिजन जब उसे अस्पताल लाये तब उसको तेज दर्द उठ रहा था। फिर भी कुठौंद का अस्पताल स्टाॅफ नही पसीजा और उसे लेबर रूम में ले जाने के बजाय बाहर ही पड़े रहने दिया। बाद में जब उसकी हालत गंभीर होने लगी तो तीन एएनएम ने बाहर ही टूट पड़ने के अंदाज में उसकी डिलवरी करा दी जिससे बच्चे की मौत हो गई जबकि जच्चा की हालत भी बेहद गंभीर बन गई। स्थिति ठीक न होने पर महिला को शुक्रवार को जिला अस्पताल लाया गया है। प्रभारी सीएमओ डाॅ. आशाराम ने शिकायत मिलने पर कहा कि वे घटना के समय डयूटी पर मौजूद एएनएम को हटा देंगे। दूसरी ओर महिला के परिजन इस पर आमादा हैं कि जानबूझ कर नवजात की हत्या करा देने का मुकदमा कुठौंद अस्पताल स्टाॅफ पर दर्ज कराया जाये और जच्चा के इलाज का पूरा खर्चा विभाग द्वारा वहन करने का आश्वासन दिया जाये।






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