उरई। लोकतंत्र का पर्व मतदाताओं के अपमान का पर्व साबित हो रहा है। पुलिस चुनाव आयोग को सनकी सुल्तान साबित करने में कोई कसर नही छोड़ रही। चैकिंग के नाम पर लोगों से हो रही बदसलूकी व अवैध वसूली के साथ-साथ पुलिस मनमाने तरीके से पाबंद कराने वाली लिस्ट में नाम जोड़ रही है जिससे निरीह लोग अराजक तत्व के रूप में लिस्टेड हो चले हैं।
विधानसभा चुनाव का लोकतांत्रिक पर्व वोटर भगवान के साथ जोर-जुल्म का पर्व बनता जा रहा है। एतिहाती कार्रवाइयों की आड़ में इस पर्व को किस तरह पुलिस ने अपनी मनमानी के पर्व के रूप में तब्दील कर दिया है इसकी एक मिसाल एट पुलिस द्वारा तैयार की गई शांति भंग की आशंका के लिए चिन्हित लोगों की सूची को देखने से पता चलती है। इस सूची में शिक्षक, कर्मचारी, पत्रकार और व्यापारी शामिल किये गये हैं न कि अवांछनीय तत्व। उदाहरण के तौर पर प्राथमिक विद्यालय कंकनखेरा के सहायक अध्यापक अजय बाबू, जनता इंटर काॅलेज एट के अध्यापक रामखिलौने, जल निगम हमीरपुर में तैनात मनोज अहिरवार, रोडवेज डिपो झांसी में तैनात सोनू लाक्षाकार इस सूची में शामिल हैं। चुनाव आयोग उसकी छवि धूमिल करने वाले पुलिस के अफसरानों के खिलाफ कोई एक्शन लेकर क्या वोटर भगवान को संतुष्ट करने की जिम्मेदारी निभायेगी।

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