उरई। बुधवार को कानपुर-झांसी रेल सेक्शन पर भुआ स्टेशन के पास पटरी काटे जाने की घटना रेलवे प्रशासन की लीपापोती के बावजूद तूल पकड़ चुकी है। एक दिन बाद आज आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की टीम को जांच के लिए मौके पर भेजा गया। एटीएस की तीन सदस्यीय टीम ने मौका देखने के बाद यह माना है कि ट्रेनों के आवागमन से इतना बड़ा फ्रेक्चर होना संभव नही है।
गत् वर्ष नवंबर के महीने में इसी ट्रैक पर पुखरायां के पास क्षतिग्रस्त रेल पटरी पर गुजरते समय इंदौर-पटना एक्सपे्रस पलट गई थी। जिसमें 152 यात्रियों को जान गंवानी पड़ी थी। शुरूआती जांच में उक्त हादसे को भी तकनीकी खामी का परिणाम मानकर पल्ला झाड़ा जा रहा था। लेकिन बाद में जब इसमें आतंकवादी साजिश की बात प्रकाश में आई तो सरकार के होश फाख्ता हो गये। इसलिए अब सरकार ट्रेन रूट में गड़बड़ी के किसी भी मामले में फूंक-फूंक कर जांच करने की नीति अपना रही है। बुधवार को भुआ रेलवे स्टेशन के नजदीक एक फिट से अधिक पटरी कटी होने के मामले को पहले लो-प्रोफाइल में डालने की कोशिश की गई। यहां तक कि रेलवे कर्मचारियों ने उच्च स्तर पर इसकी सूचना देना तक जरूरी नही समझा। जब मीडिया ने पूंछतांछ शुरू की इसके बाद उच्चाधिकारी हरकत में आये। फिर भी रेलवे का तकनीकी सेक्शन और आरपीएफ इसे मौसम की वजह से पटरी फ्रैक्चर का सामान्य मामला साबित करते रहे। हालांकि इसे लेकर नई पटरी जोड़ने के काम के चलते ढाई घंटे ट्रैक पर रेल यातायात ठप्प रखा गया। जिसमें कई सुपर फास्ट ट्रेने भी फसी रहीं। इसके बाद भी काम हुआ और इसके चलते ट्रेनों का चलना मात्र तीस किलोमीटर की स्पीड पर यहां सीमित रखा गया और यह बंदिश आज भी जारी रही।
एटीएस टीम में शामिल रामजस यादव व महेश तोमर ने पटरियों के रखरखाव से जुडे़ तकनीकी कर्मचारियों से पूंछतांछ कर यह जानने की कोशिश की कि किन हालातों में इतनी पटरी टूट सकती है। एटीएस टीम की पूंछतांछ में कर्मचारी लड़खड़ा गये जिसके बाद टीम ने जांच में और गंभीरता दिखाने का फैसला किया है। जांच में एटीएस टीम द्वारा सर्विलांस टीम की भी मदद ली जा रही है। जांच के चलते आज भी पूरे दिन रेलवे में हड़कंप मचा रहा।






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