0 दो चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति को नहीं मिला ऐल्डर्स कमेटी का अनुमोदन
0 अस्वस्थता के बहाने ऐल्डर्स कमेटी अध्यक्ष ने खुद को विवाद से बाहर खींचा
कोंच-उरई। कोंच बार एसोसियेशन का आसन्न चुनाव अभी भी विवादों से उबर नहीं पाया है। गुजरे कल बुधवार को जिन दो नये चुनाव अधिकारियों को बढाने की सिफारिश मौजूदा बार कमेटी द्वारा ऐल्डर्स कमेटी के समक्ष की गई थी उसमें फिलहाल अनुमोदन अभी तक मिला नहीं है। इतना ही नहीं, ऐल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष महंत ब्रजभूषण दास ने इस विवाद से खुद को साफ निकालने का रास्ता बना लिया गया है। उन्होंने एक पत्र ऐल्डर्स कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सेंतलाल अग्रवाल को लिख कर कहा है कि वह अस्वस्थ होने के नाते अपने अधिकार उन्हें हस्तांतरित करते हैं। अगर इन दो नये जोड़े गये चुनाव अधिकारियों का अनुमोदन नहीें होता है तो रायता फैलना पक्का माना जा रहा है।
बार एसोसियेशन की मौजूदा कमेटी ने बिना किसी अपने निजी लाभ के चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति चुपके-चुपके करके बिना वजह एक ऐसे विवाद को जन्म दे दिया है जिसकी जड़े गहरे तक फैलती जा रही हैं। विवाद पर पानी डालने की कोशिश में ही गुजरे कल बुधवार को पहले से नियुक्त किये गये पांच चुनाव अधिकारियों ब्रजेश मिश्रा, कमलेश चोपड़ा, लालजी सिंह गुर्जर, जितेन्द्र सिंह गुर्जर और वीरेन्द्र जाटव के अलावा दो नये चुनाव अधिकारी संजीव तिवारी व राजेन्द्र सिंह निरंजन की नियुक्ति और कर दी गई थी। इसके बाद समझा जा रहा था कि मामला ठंडा पड़ जायेगा और चुनाव प्रक्रिया बिना किसी अवरोध के आगे का रास्ता नापेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं, ऐल्डर्स कमेटी के पास इन चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की भेजी गई सिफारिश को फिलहाल समाचार लिखे जाने तक अनुमोदन नहीं मिल सका था जिससे इन दो का चुनाव अधिकारी नियुक्त होना अधर में लटक गया है। यहां सबसे ज्यादा मजेदार यह है कि महंत ब्रजभूषण दास जो ऐल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष हैं, ने बार कमेटी के पत्र पर संज्ञान न लेते हुये इस पचड़े से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने ऐल्डर्स कमेटी के वरिष्ठतम सदस्य संतलाल अग्रवाल को पत्र भेज कर कह दिया है कि चूंकि वह अस्वस्थ हैं लिहाजा वह अपने अधिकार फिलहाल उन्हें हस्तांतरित करते हैं। इधर, बारसंघ अध्यक्ष अंबरीश रस्तोगी का कहना है कि वह आज शाम संतलाल अग्रवाल के यहां जाकर इन नये चुनाव अधिकारियों का अनुमोदन ले आयेंगे। यहां बार के वकीलों में चुनाव अधिकारियों की गुपचुप नियुक्ति पर पहले से ही बौखलाहट है, ऐसे में अगर इन दो चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति का अनुमोदन नहीं होता है तो वकील नया बखेड़ा कर नये सिरे से चुनाव अधिकारियों को नियुक्त किये जाने की मांग कर सकते हैं।






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