उरई। शहर में गरीबों के लिए बनवाई गई अपने आप में उदाहरण कांशीराम कालोनी आज बदनुमा दाग बन चुकी है। विष कन्याओं के गण के रूप में इसकी बदनामी को एक बार फिर मुकाम मिला जब यहां कालगर्ल रैकेट ने दतिया के एक मजदूर को झांसे में लेकर न केवल उसके पास से 30 हजार रुपये गायब कर दिये बल्कि उसे बंधक भी बना लिया। यह दूसरी बात है कि कांशीराम कालोनी में देह व्यापार को कोतवाली पुलिस का संरक्षण होने की वजह से प्रभारी निरीक्षक ने रैकेटरियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय पूरी ऊर्जा पीड़ित के झूठ को दबकाने में लगाकर मामला डायवर्ट कर दिया।
कांशीराम कालोनी में मध्यप्रदेश के दतिया जिले के बड़ौनी थाना के एक गांव का निवासी 24 घंटे से दबंगों की कैद में था। उसने किसी तरह अपने भाई को फोन पर सूचना दी। जिसके बाद उसने डायल-100 पर काॅल कर भाई को छुड़ाने की गुहार लगाई तब कहीं जाकर उसे मुक्त कराया जा सका।
थाने आने पर लोकलाज के नाते उसने अपनी कहानी को थोड़ा ट्विस्ट दे दिया। उसने बताया कि वह अहमदाबाद में मजदूरी करता था। लौटा तो उरई स्टेशन पर उतर गया। जब वह स्टेशन से रिक्शा करके कोंच बस स्टैण्ड पहुंचा तो दो लड़की उसके रिक्शे से उतरते ही लपककर उसके पास आ गईं। उन्होंने आनन-फानन में उससे नाता जोड़ लिया और उसके लिए चाय लाईं। उन लड़कियों की चाय पीकर वह लड़खड़ाने लगा तो लड़कियों ने कहा कि तुम्हारी तबियत किसी वजह से खराब हो रही है इसलिए उनके कांशीराम कालोनी में घर में चलो। वे जबरन उसे अपने घर में लाईं। उसके पास 30 हजार रुपये थे जिसे उन्होंने छीन लिए और कमरे में बंद करके उससे रुपये की मांग करने लगीं। उसने किसी तरह रुपये मंगाने के लिए भाई को फोन करने की इजाजत उनसे ले ली। जिसके बाद उसने अपने भाई को संकेतों में पूरी बात बता दी। भाई ने डायल-100 पर घटना की जानकारी दी और उरई आ गया। तब तक डायल-100 की गाड़ी ने उसे कांशीराम कालोनी में कैद से छुड़ाकर कोतवाली पहुंचाया।
इस बीच आज तहसील दिवस था जिसमें उसने डीएम संदीप कौर और एसपी स्वप्निल ममगोई मौजूद थे। वह अपनी बात बताने लगा तो प्रभारी निरीक्षक संजय गुप्ता सकपका गये। उनसे पहले भी कई बार कांशीराम कालोनी में बड़े पैमाने पर देह व्यापार चलने की शिकायत की गई थी। लेकिन उन्होंने कुछ नही किया था। अधिकारियों के सामने अपनी निष्क्रियता की पोल खुलने के भय से वे पीड़ित पर बरसने लगे। बोले कि तूं झूठ बोल रहा है। तुझे पटिटयां न बंधी होती तो तुझसे सारी सच-सच बात उगला लेता। बहरहाल उन्होंने काफी देर तक पीड़ित को जलील किया और हड़काया। भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाकर रुपये ऐठने वाले और पर्दे के पीछे रहने वाले उनके आकाओं पर कार्रवाई की जिम्मेदारी कोतवाल ने डाॅयवर्ट कर दी। अंततोगत्वा क्या हुआ इसका पता नही चल पाया है।






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