उरई। जिले की राजनीति में एक बड़ा मोड़ देखे जाने के आसार बन रहे हैं। बड़ी संख्या में जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं ने परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र देव से गुहार लगाई है कि वे विधान परिषद से सदन का सदस्य बनने का रास्ता चुनने की बजाय जिले से सीधे विधानसभा में नुमाइंदगीं के लिए तैयारी करें। स्वतंत्र देव ने पहले इस आग्रह को टाला लेकिन यह गुजारिश बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर उन्होंने संकेत दे दिया है कि वे जिले में अपने एक प्रिय से सीट खाली कराकर चुनाव लड़ने की तैयारी पर विचार कर रहे हैं।
स्वतंत्र देव मूल रूप से मिर्जापुर जनपद के रहने वाले हैं। लेकिन छात्र जीवन से ही जालौन जिला उनकी कर्मभूमि रहा है। भाजपा में नेताओं, कार्यकर्ताओं की वर्तमान फसल में ज्यादातर लोग उनके तैयार किये हुए हैं। इसलिए वे इसी जिले पर अपनी इस राजनीतिक साख के लिए सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं।
स्वतंत्र देव को पार्टी के लिए उनकी लंबी सेवाओं को देखते हुए किसी सदन का सदस्य न होने के बावजूद स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री तो बना दिया गया लेकिन अब पेंच फंस गया है। 6 महीने के अंदर उन्हें किसी न किसी सदन का सदस्य बनना होगा। बिडबंना यह है कि इस अवधि में एमएलसी के लिए भी कोई रिक्ति नही बन रही। हालांकि कुछ विधान परिषद सदस्यों ने उनके लिए सीट खाली करने का प्रस्ताव दिया है। इस पर वे विचार कर ही रहे थे। साथ ही पूर्वांचल के कुछ जिलों के नव निर्वाचित विधायकों ने भी जो भारतीय जनता युवा मोर्चा के उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते उनकी टीम में जुड़े रह चुके हैं उनके लिए अपनी सीट का बलिदान करने की पेशकश की है।
वे इन विकल्पों पर विचार कर ही रहे थे कि जालौन जिले के उनके पारिवारिक की तरह हो चुके कार्यकर्ता उनसे जिले से ही चुनाव लड़ने की मनुहार करने पहुंच गये। उनकी लगातार घेराबंदी से स्वतंत्र देव का भी माइंड सेट जिले से विधानसभा चुनाव की तैयारी के बावत बनने लगा है। 2012 में उन्होंने कालपी विधानसभा क्षेत्र से जोर आजमाइश की थी लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई थी। पर तब के दौर में हवा भाजपा के खिलाफ थी और भाजपा के कई और सूरमा नेताओं को भी इसी तरह की पराजय का स्वाद चखना पड़ा था। आज के दौर में 2012 के चुनाव इतिहास का हवाला देने की कोई तुक नही रह गई है। सभी मानते है कि अगर इस समय स्वतंत्र देव उपचुनाव करवाकर जिले से भाग्य आजमाइश करते है तो वे प्रदेश में सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकार्ड बना सकते हैं। भले ही स्वतंत्र देव ने अभी इसके लिए पूरी तरह हरी झंडी न दी हो लेकिन जिन नव निर्वाचित विधायकों को ऐसा अवसर आने पर उनके लिए त्याग की परीक्षा देनी पड़ सकती है वे इसके बाद सांसत में हैं और बला टलवाने के लिए हवन-पूजन कराने में जुटे हुए हैं। जबकि आम कार्यकर्ता मना रहे है कि स्वतंत्र देव कब जिले से चुनाव लड़ने का फैसला घोषित करें।






Leave a comment