उरई। गत् 31 मार्च को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी सभी एबीआरसी के लिए आदेश जारी कर चुके हैं कि वे कार्यमुक्त होकर अपने मूल विद्यालय में वापस चले जायें लेकिन अभी तक इस आदेश पर अमल नही कराया जा सका जिससे एबीआरसी गैर कानूनी तरीके से पूर्ववत अपना काम कर रहे हैं। इनके द्वारा शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है जिससे उनमें रोष व्याप्त है।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में प्रत्येक ब्लाॅक में पांच शिक्षक एबीआरसी बनाये गये थे जिनका कार्यकाल तीन वर्ष का था। 2014 में इनका तीन और वर्ष के लिए रिन्यूवल कर दिया गया। 6 साल से ज्यादा कोई शिक्षक एबीआरसी नही बनाया जा सकता। इसलिए बेसिक शिक्षाधिकारी ने जनपद के सभी 45 एबीआरसी वापस बुलाने का आदेश जारी किया था।
बताया जाता है कि खंड शिक्षाधिकारियों की मिली भगत के कारण इस आदेश पर अमल नही हो पा रहा। ध्यान देने वाली बात यह है कि एबीआरसी का पद सृजन इसलिए किया गया था तांकि किसी विद्यालय में शिक्षक को अगर किसी विषय को पढ़ाने में कठिनाई हो रही हो तो संबंधित विषय के विशेषज्ञ के तौर पर एबीआरसी को वहां भेजा जायेगा। लेकिन खंड शिक्षाधिकारियों ने इन्हें अपना मोहरा बना लिया। बजाय इनकों विषय पढ़ाने के लिए विद्यालयों में भिजवाने के इनके माध्यम् से स्कूलों का निरीक्षण कराया गया। निरीक्षण के बहाने एबीआरसी दंडात्मक कार्रवाई की आड़ लेकर शिक्षकों को मनमाना सुविधा शुल्क देने के लिए मजबूर करते रहे। इस सुविधा शुल्क में से अधिकतम प्रतिशत खंड शिक्षाधिकारी को मिलता है। इसलिए उनका साॅफ्ट कार्नर एबीआरसी के प्रति है। यही वजह है कि खंड शिक्षाधिकारी उनकों कार्यमुक्त नही होने दे रहे। क्या नये डीएम इस पर गौर करेंगें।

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