0 न केवल चुनाई बल्कि प्लास्टर में भी बालू की जगह डस्ट का हुआ है प्रयोग

कोंच-उरई। पिछले दिनों कोंच की नवीन सब्जी मंडी में बनी दुकानों के आगे का बरामदा जरा से हवा के झोंके में ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह गया था जिसमें कई मजदूर घायल हुये थे। कमोवेश कुछ ऐसा ही निर्माण हो रहा है गल्ला मंडी में गोडाउन का जिसमें चुनाई से लेकर प्लास्टर तक में बालू की जगह डस्ट का प्रयोग कर सरकारी धन का जम कर बंदरबांट किया गया है। गोदाम के निर्माण में व्यय की गई लगभग डेढ करोड़ की सरकारी धनराशि कभी भी पानी में बह सकती है। मंडी परिषद् की निर्माण शाखा गल्ला मंडी कोंच में गोदाम का निर्माण करा रही है। उक्त निर्माण में मानकों और गुणवत्ता की जमकर धज्जियां उड़ाईं जा रहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके निर्माण की लागत तकरीबन डेढ करोड़ है लेकिन लागत की तो छोडिये, एस्टीमेट, कार्यदायी संस्था और निर्माण में प्रयुक्त होने वाले मैटीरियल का अनुपात क्या रखा गया है, को दर्शाने बाला एक बोर्ड तक वहां नहीं लगाया गया है। मंडी समिति से जब इस बाबत जानकारी करने की कोशिश की गई तो मंडी प्रशासन ने इस संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी से अनभिज्ञता प्रकट की। दरअसल, बालू के अफीम हो जाने के कारण इसकी उपलब्धता किसी भी निर्माण कार्य के लिये नहीं होने की स्थिति में उसके स्थानापन्न के रूप में डस्ट का जमकर प्रयोग हो रहा है। अब इससे भवन की मजबूती प्रभावित होती है तो होती रहे। बन रहे गोदाम का भी यही हाल है, इसमें बालू की जगह डस्ट का प्रयोग पूरे निर्माण के दौरान किया जाना इस बिल्डिंग की मजबूती पर प्रश्न चिन्ह लगाने बाला है। प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक इस निर्माण में चिनाई से लेकर प्लास्टर तक के कार्य में डस्ट का प्रयोग हुआ है। व्यापारियों का आरोप है कि यह बिल्डिंग कभी भी ताश के पत्तें की तरह ढेर हो सकती है और इससे होने बाली जन धन हानि का पूर्वानुमान कर पाना भी कठिन है। इसके अलावा गोदाम के अंदर फर्श में मिट्टी भरी जा रही है जिसके चलते बजन पड़ते ही ये फर्श मिट्टी में मिलते देर नहीं लगेगी। डीडीसी सुरेश गोयल ने पूरे मामले की जांच कराने की बात कही है।
निर्माण में गुणवत्ता पूरी तरह दरकिनार रही-अजय गोयल
मंडी में निर्माणाधीन गोदाम की गुणवत्ता को लेकर गल्ला व्यापारी समिति के अध्यक्ष अजय गोयल का दो टूक कहना है कि पूरा का पूरा निर्माण ही राख का ढेर है जो जरा सी आंधी या तेज हवा में धराशाई हो सकता है। उन्होंने माना कि बालू नहीं मिलने के कारण इसके निर्माण में पूरी तरह से डस्ट का प्रयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों नवीन सब्जी मंडी में दुकानों के आगे बना बरामदा भी जरा सी हवा में भरभरा कर गिर गया था जिसका मुआवजा अभी तक घायल गरीब मजदूरों को नहीं मिल सका है।






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