जयपुर 1। प्रसिद्ध मराठी लेखक जयवंत दलवी लिखित और निशा वर्मा निर्देशित नाटक ‘पुरुष’ में दर्शाया गया है कि अपने ऊपर हुए अन्याय के लिए आवाज़ उठाना एक युवती के लिए कितना महँगा और अपमानजनक हो सकता है। लेकिन नायिका अम्बिका हार नही मानती और अदालत का फैसला अपने खिलाफ आने पर गुलाबराय जैसे भेड़िये से अपने तरीके से प्रतिशोध लेती है
यह नजारा था शुक्रवार को कानपुर के अनुकृति रंगमंडल के कलाकारों द्वारा रवीन्द्र मंच के मिनी थियेटर में मंचित नाटक ‘पुरुष’ का। इसका हिंदी रूपांतरण सुधाकर करकरे व निर्देशन निशा वर्मा ने किया।। नाटक का विषय आज भी प्रासंगिक है।नाटक की कहानी शुरू होती है अण्णा साहब आप्टे के घर से। जो एक आदर्श शिक्षक हैं। उनकी अपनी पत्नी तारा के साथ कुछ वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन वह हमेशा उनका साथ देती है। अण्णा की बेटी अंबिका एक स्कूल में पढ़ाती है। उसका एक दोस्त है सिद्धार्थ, जो दलितों के हक की लड़ाई लड़ता है। नाटक के अगले सीन में बाहुबली गुलाबराय जाधव की एंट्री होती है, जिसके काले-कारनामों को कई बार अंबिका सबके सामने उजागर कर चुकी होती है। गुलाब राय अंबिका से बदला लेने के लिए उसका बलात्कार कर देता है। यह सदमा अंबिका की मां तारा बर्दाश्त नहीं कर पाती और आत्महत्या कर लेती है। बिगड़ते हालात में अंबिका सिद्धार्थ का भी साथ छोड़ देती है और अपने संघर्ष की लड़ाई वह अकेले लड़ती है। इसके बाद वह गुलाबराय से अपना न्याय लेती है और पुलिस को कॉल करके बुलाती है। पुलिस पूछती है ‘क्या तुमने उसे मार डाला। वह कहती है नहीं, मैंने उसका पुरुषत्व हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर डाला।’ इसी के साथ नाटक का समापन हो जाता है। नाटक में महेंद्र धुरिया, जोली घोष, तृप्ति राघव, दीपिका, राजीव तिवारी, विजयभान सिंह, मनोहर सुखेजा, अनिल गौड़, अनिल निगम, प्रमोद शर्मा, जब्बार अकरम, सम्राट, संजय शर्मा व आकाश ने प्रमुख भूमिका निभाई।प्रस्तुति नियंत्रक व सहायक निर्देशक डा. ओमेंद्र कुमार थे। संगीत सिरीष सिन्हा व सलाहकार निर्देशक कृष्णा सक्सेना थे।

 

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