उरई |
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) उरई के प्रधानाचार्य एमके सिंह के द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार व लूट खसोट के मामले की शिकायत जब छात्रों ने तहसील दिवस में की तो उसकी जांच करने का जिम्मा जिला विद्यालय निरीक्षक भगवत पटेल को सौंपा गया था। आज जांच अधिकारी द्वारा आईटीआई भेजे गये कार्यालय के लिपिक व लेखाधिकारी जब वहां पहुंचे तो पहले तो उन्हें बताया गया कि प्रधानाचार्य बाहर गये लेकिन थोड़ी ही देर में जब प्रधानाचार्य उनकी आंखों के सामने आये तो उन्होंने जांच अधिकारी द्वारा भेजे गये नोटिस को रिसीब कराने का प्रयास किया तो प्रधानाचार्य एक बार फिर अपना आपा खो बैठे और दोनों कर्मचारियों से अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर डाला। हालांकि दोनों कर्मचारी जिस मंशा से वहां गये थे उक्त काम को उन्होंने पूरा कर वापस कार्यालय में लौट गये। जब प्रधानाचार्य के बर्ताव के बारे में जांच अधिकारी बनाये गये डीआईओएस को जानकारी मिली तो वह भी हैरान रह गये।
गौरतलब हो कि पिछले लंबे समय से आईटीआई प्रधानाचार्य एमके सिंह द्वारा जिस तरह से नादिरशाही पूर्ण तरीके को अपनाकर वहां पढ़ने वाले छात्रों से अक्सर ही अमर्यादित भाषा का उच्चारण कर उनको मानसिक रूप से तो पीड़ित कर ही रहे थे साथ ही साथ वह विभिन्न टेªडों में पढ़ने वाले छात्रों से प्रति सेमेस्टर 4500 से 2500 रुपये की अवैध तरीके से वसूली भी कर रहे थे जिससे छात्रों के अंदर प्रधानाचार्य के विरुद्ध आक्रोश गहराने लगा था। इतना ही नहीं छात्रों का तो आरोप है कि प्रधानाचार्य समय-समय नई-नई मदों को ईजाद कर प्रवेश लेने वाले छात्रों से निर्धारित शुल्क से दोगुना से तीन गुना तक शुल्क वसूली करने से भी नहीं चूक रहे थे। तो छात्रों को सुविधायें देने के नाम पर भी समय-समय पर वसूली का फरमान सुनाकर उसे पूरा करने का भी दबाब बनाया जाता था। इसके बाद छात्रों ने आईटीआई प्रधानाचार्य एमके सिंह के क्रियाकलापों की शिकायत करनी शुरू की और इसी श्रृंखला में पिछले मंगलवार को तहसील दिवस में भी शिकायत दर्ज करायी थी। जिसकी जांच जिला विद्यालय निरीक्षक भगवत पटेल को सौंपी गयी थी। इसीक्रम में आज जांच अधिकारी ने अपने ही कार्यालय के लेखाधिकारी व लिपिक को आईटीआई में भेजा था ताकि वह प्रधानाचार्य को वह नोटिस रिसीब करा आये ताकि वह भी अपना जबाब उनके पास भेज सके। बताया जाता है कि जैसे ही डीआईओएस कार्यालय के दोनों कर्मचारी आईटीआई परिसर में पहुंचे तो वहां के कर्मियों ने बताया कि प्रधानाचार्य तो बाहर गये हुये हैं। इसके बाद दोनों कर्मी वहीं पर कुछ देर के लिये रुके तो आईटीआई प्रधानाचार्य एमके सिंह उन्हें नजर जिन्हें वह अच्छी तरह से पहचानते थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानाचार्य को आने की वजह बतायी और जांच अधिकारी द्वारा दिये गये नोटिस को रिसीब करने का अनुरोध किया तो प्रधानाचार्य एमके सिंह बुरी तरह से भड़क उठे और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने लगे। गुस्से से आकर प्रधानाचार्य ने कहा कि जानते नहीं मैं क्लास वन के अधिकारी है मेरी जांच कोई भी नहीं कर सकता। हालांकि जांच अधिकारी द्वारा भेजे गये दोनों कर्मियों ने अपना काम पूरा कर वहां से वापस लौट आये थे। जब जांच अधिकारी को आईटीआई प्रधानाचार्य के बिगड़े बोल के बारे में जानकारी मिली तो वह भी हैरान रह गये। हालांकि जांच अधिकारी ने स्पष्ट किया कि जो जांच उन्हें सौंपी गयी है उसमें वह आईटीआई के छात्रों से बयान दर्ज कराने के बाद जिलाधिकारी के पास भेज देंगे।






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