
उरई। राजकीय मेडिकल कालेज में चार माह से कार्र्यरत कर्मियों को मानदेय नहीं मिला है। इससे सोमवार को कर्मचारियों का गुस्सा भड़क गया और बड़ी संख्या में एकत्र हुए कर्मचारियों ने कालेज परिसर में जाकर नारेबाजी कर अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। मानदेय न मिलने से नारेबाजी कर रहे कर्मचारियों का दर्द जानने के लिए न तो अधिकारी पहुंचे और न ही जनप्रतिनिधि पहुंचे। हालांकि कर्मचारियों ने कहा कि वह इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी से कर पूरे मामले से अवगत कराएंगे।
बताते चले कि चार माह से राजकीय मेडिकल कालेज में काम करने वाले कर्मचारियों को मानदेय नसीब नहीं हो सका है। कर्मचारियों का आरोप है कि जब उन्होंने ठेकेदार से मानदेय देने की बात कही तो वह कहने लगे कि अभी बजट आया नहीं है। उन्होंने मेडिकल कालेज के अफसरों से अभी मानदेय को लेकर गुहार लगाई, पर अफसरों ने कर्मचारियों की मांग को पूरा करने के बजाए उससे मुंह मोड़ लिया। मानदेय न मिलने से कर्मचारियों ने रविवार को कालेज परिसर में नारेबाजी कर आक्रोश जताया और अफसरों पर मनमानी का आरोप लगाया। कर्मचारियों का जाते हैं मानदेय में भी काफी घपलेबाजी की जा रही है।
प्रभावित रहीं स्वास्थ्य सेवाएं
मानदेय की मांग को लेकर कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे आंदोलन की वजह से सोमवार को मेडिकल कालेज की स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रही। बताते चले कि कालेज की स्वास्थ्य सेवाएं संविदा पर रखे गए कर्मचारियों पर ही निरक्षर हैं, लेकिन आंदोलन का रास्ता अपनाए जाने से स्थिति गंभीर रही।
इलाज को भटकते रहे मरीज
कर्मचारियों की ओर से आंदोलन का रास्ता अख्तियार किए जाने की वजह से इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा। कर्मचारियों के न होने की वजह से ज्यादातर काउंटर खाली रहे। सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण इलाकों से आए मरीजों को उठानी पड़ी।
अक्सर लटक जाता है कर्मचारियों का मानदेय
बताते चले कि मानदेय को लेकर सोमवार को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करने की घटना कोई पहली नहीं हैं, इसके पहले अभी मानदेय को लेकर वहां पर कर्मी आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन इसके बाद काफी हालात सुधर नहीं आ रहे है। इसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।
आरोप है कि जो मानदेय देते वक्त आठ हजार रुपये की स्लिप पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं, जबकि 4500 रुपये दिए जाते हैं ।






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