
उरई । यहाँ के राजकीय मेडिकल कालेज की मान्यता पर ख़तरा मंडराने लगा है । कालेज में अभी चार सत्र संचालित हो रहे हैं । चार वर्षों के 50 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंट 2 से 3 विषयों में सेमेस्टर परीक्षा में अटक गए हैं जबकि अभी यहाँ हर कक्षा के लिए केवल 1 साल की प्रोविजिनल मान्यता होती है और 5वें अंतिम वर्ष के लिए कालेज का मान्यता का आवेदन भारतीय चिकित्सा परिषद में विचाराधीन है । बुद्धवार को एम सी आई की टीम मान्यता के रिन्यूल के लिए निरीक्षण पर आने वाली थी जिससे कालेज प्रशासन तनाव में था लेकिन अपरिहार्य कारणों से एम सी आई का दौरा टल जाने से कालेज प्रशासन ने फिलहाल राहत की सांस ली है ।
उरई के राजकीय मेडिकल में 50 फीसदी से ज्यादा छात्रों को परीक्षा में बैक लग जाने से इसके अस्तित्व पर ग्रहण नजर आने लगा है । 500 करोड़ की लागत से बने स्थानीय मेडिकल कालेज में संसाधन तो पूरे हैं लेकिन पढ़ाने के लिए प्रोफेसर नहीं हैं । मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डॉ आर के सिंह ने बताया कि 2005 तक प्रदेश में 6 मेडिकल कालेज थे लेकिन2007 में एकदम 6 और मेडिकल कालेज खोलने की कार्रवाई शुरू हो गई लेकिन इनमें पढ़ाने के लिए शिक्षकों की संख्या नहीं बढाई गई । उपलब्ध शिक्षकों में से ही नए कालेजों में इक्का दुक्का शिक्षकों को भेजा जाता रहा इसलिये नए कालेजों में पढ़ाई नहीं जाम पायी है ।
उन्होने बताया कि पिछले महीने से मेडिकल कालेजों के लिए चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है लेकिन नए शिक्षकों के आने में देर लगेगी तब तक उरई सहित नए मेडिकल कालेजों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना बड़ी चुनौती है ।






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