उरई। बालू से भरे वाहनों की अवैध निकासी की बंदरबांट में माधौगढ़ के एसडीएम और पुलिस के बीच ठन गई है। शुक्रवार को सुबह एसडीएम ने भीमनगर के पास तीन बालू भरे ट्रक पकड़ लिए। इसे लेकर ट्रक संचालक ने एसडीएम के खिलाफ रुपये मांगने का शिकायती पत्र सीओ को सौंपा। जबकि एसडीएम का कहना है कि पुलिस और बालू माफिया मिलकर उनके खिलाफ षणयंत्र रच रहे हैं। गौरतलब है कि माधौगढ़ में एसडीएम और पुलिस के बीच इस मुददे पर एक महीने से अदावत चल रही है जिसमें खुलेआम एक-दूसरे पर आरोप लगाये जाने से प्रशासन की फजीहत हो रही है।
ट्रक संचालक ने लगाया उगाही का आरोप
हुआ यूं कि शुक्रवार को सुबह माधौगढ़ के उपजिलाधिकारी सौजन्य कुमार विकास ने भीमनगर के पास बालू भरे तीन ट्रक पकड़ लिए। ट्रक संचालक मिहौना मध्य प्रदेश निवासी अजीत शर्मा का कहना है कि उसके वाहनों के कागजात दुरुस्त थे और रायल्टी के कागजात भी थे। फिर भी एसडीएम ने कहा कि 50-50 हजार रुपये प्रति ट्रक के हिसाब से दो वरना तीनों ट्रक सीज कर दूंगा। उसका कहना है कि उसके पास एक लाख रुपये थे। इस रकम के साथ उसने एक अंगूठी और सोने की जंजीर एसडीएम को दे दी। फिर भी उसके ट्रक नही छोड़े गये। जबकि उसके सामने ही जिन लोगों ने पैसे दे दिये थे वे ट्रक और ट्रैक्टर उन्होंने बिना कार्रवाई के निकल जाने दिये।
पुलिस ने भी एसडीएम को कटघरे में किया खड़ा
उपजिलाधिकारी सौजन्य कुमार विकास से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने इसे पुलिस और बालू माफियों का षणयंत्र बताया। उनका कहना है कि हाल ही में उन्होंने बालू अनलोड करके आ रहे पांच ट्रैक्टर पकड़ लिए थे। जिनके बारे में पुलिस उपाधीक्षक अजय शर्मा ने यह रिपोर्ट दे दी कि वे लोग मटर बेंचकर लौटे थे। एसडीएम साहब उनसे पांच-पांच हजार रुपये मांग रहे थे जो उन्होंने नही दिये। इसलिए ट्रैक्टर बंद कर दिये।
एसडीएम ने पुलिस के खिलाफ निकाला गुबार
एसडीएम सौजन्य कुमार विकास का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत की वजह से एक बार उन पर बालू भरे ट्रैक्टर पकड़ते समय हमला हो चुका है। एक बार बालू माफियाओं ने उनके बंगले पर उत्पात किया। उन्होंने इसे लेकर जिलाधिकारी से गुहार लगाई थी। समझा जाता है कि एसडीएम और पुलिस के झगड़े की वजह से ही माधौगढ़ के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक रुद्र कुमार सिंह का तबादला कर दिया गया था। इसके बावजूद उनकी पुलिस से रार शांत नही हुई है।
एसडीएम ने इशारे में सीओ पर बालू माफियाओं से मिलीभगत रखने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि कागजों में मध्यप्रदेश की सीमा से अवैध रूप से रेत भरकर आने वाले वाहनों की रोकथाम के लिए पुलिस ने पिकेट लगा रखे हैं। लेकिन हकीकत में पिकेट डयूटी में कोई तैनात नही है। भीमनगर में भी कागजों मे पिकेट डयूटी रहती है लेकिन कोई सिपाही मौजूद नही थे इसीलिए सुबह पकड़े गये ट्रक शाम तक थाने नही लाये जा सके। पुलिस इंतजार करती है कि वाहन संचालक ओवर लोड कम करा लें इसके बाद उन्हें थाने लाया जाता है तांकि वे कार्रवाई मे बच जायें।
एसडीएम ने अपनी सफाई में यह भी कहा कि डीएम ने सभी थानों से ओवर लोड वाहनों के खिलाफ की कई कार्रवाई का दो महीने का ब्यौरा मांगा था। जिसमें माधौगढ़ थाने ने 19 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट भेजी है। लेकिन इनमें से 10 ट्रक उन्होंने ही एक साथ पकड़े थे। इसके बाद पांच ट्रैक्टर पकड़े थे जिनमें उन पर हमला हो गया था। अन्य छुटपुट कार्रवाइयां भी की हैं। जाहिर है कि सारी कार्रवाइयां उनके द्वारा की गईं हैं तो फिर पुलिस ने क्या कार्रवाई की है।
कोई नही है दूध का धुला
उधर पुलिस के अधिकारी एसडीएम के खिलाफ सीधे कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन अनौपचारिक तौर पर उनका कहना है कि एसडीएम वसूली के लिए अकेले ही कार्रवाई पर निकलते हैं। उनके खिलाफ शिकायतों की भरमार है। लेकिन वे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
लेकिन जनचर्चाओं में माना जा रहा है कि एसडीएम और सीओ में कोई दूध का धुला नही है। सीओ अजय शर्मा की माधौगढ़ सर्किल में जिले में पहली तैनाती है और जब से वे इस सर्किल में पदस्थ हुए हैं तब से लेकर उनके संबंध में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। उधर एसडीएम सौजन्य कुमार विकास के बारे में कहा जा रहा है कि उनकी विवादित कार्यशैली की वजह से ही तत्कालीन जिलाधिकारी नरेंद्र शंकर पाण्डेय ने उन्हें जालौन परगने से हटाकर अतिरिक्त मजिस्ट्रेट के रूप में मुख्यालय पर अटैच कर लिया था।






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