उरई। मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने का दावा करके सरकार और प्रशासन लोगों की आंखों मेें धूल झोंक रही हैं। जालौन जिले में ही कई परिवार पुश्तैनी तौर पर आज के समय भी मजबूरी में मैला ढो रहे हैं जिनकी जानकारी होते हुए भी अधिकारी अनभिज्ञ बनकर हकीकत को झुठलाने का प्रयास कर रहे हैं।
यह बात अनुसूचित जाति जनजाति उत्पीड़न निवारण एवं सशक्तीकरण के केंद्र प्रभारी अरविंद पहारिया ने कही। उन्होंने बताया कि गत दिनों वे गोहन थाने के बदनपुरा गांव में भ्रमण पर थे जहां उन्हें मैला लेकर आ रही पुना पत्नी नेवले बाल्मीकि से मिलने का मौका मिला। पुना ने बताया कि वे अकेली नही लड़कुरा, ढकेली, राजेश्वरी और उल्ला आदि उनके साथ की गांव की कई महिलाएं हैं। जिन्हें इस पेशे से अभी तक छुटकारा नही मिल पाया है।
अरविंद पहारिया ने कहा कि मैला ढोने वाले परिवारों के पुनर्वास के नाम पर पूरी तरह भ्रष्टाचार किया गया है। आजीविका की वैकल्पिक व्यवस्था न होने की वजह से मानवता के लिए कलंक मैला ढोने की प्रथा से यह परिवार बाहर नही निकल पा रहे। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण ढंग से जीने का अवसर देने के सिद्धांत की जालौन जिले में खुली अवहेलना हो रही है। वे मैला ढोने वाले परिवारों को चिन्हित करके जिला मुख्यालय पर एक बड़ा प्रदर्शन करेगें। तांकि सरकार और प्रशासन के चेहरे को बेनकाब कर सकें।

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