उरई। मौजूदा बेसिक शिक्षाधिकारी के कार्यकाल में शिक्षा के मंदिरों की गरिमा तार-तार हो रही है। उनके संरक्षण की वजह से निरंकुश शिक्षक नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कोई कार्रवाई न होने के कारण माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है।
जनपद में बुनियादी शिक्षा की व्यवस्था मौजूदा जिला बेसिक शिक्षाधिकारी राजेश कुमार शाही की अकर्मण्यता और स्वार्थी प्रवृत्ति की वजह से चरमरा उठी है। ग्रामीण क्षेत्र में कई स्कूलों में महीनों से अध्यापक नही जा रहे। फिर भी उन पर कोई कार्रवाई नही हो रही। जालौन के खंड शिक्षाधिकारी विनोद गौतम के खिलाफ शिक्षकों की यूनियन भ्रष्टाचार के मामले ठोस सबूतों के साथ लेकर सामने आई लेकिन कोई कार्रवाई नही हो पाई।
इसी क्रम में डकोर ब्लाक के नरछा पूर्व माध्यमिक विद्यालय में एक शिक्षक के आचरण की वजह से माहौल दूषित होने की शिकायतें सामने आ रही हैं। पानी सिर से ऊपर हो जाने के बावजूद बेसिक शिक्षाधिकारी कोई कार्रवाई करने को तैयार नही हैं। इस शिक्षक के विद्यालय में महिला शिक्षकों के होते हुए भी अस्त-व्यस्त ढंग से कहीं भी लेट जाने और खर्राटे भरने लगने व कानून को धता बताकर विद्यालय में ही बीड़ी पीने लगने की हरकतों का खुला सबूत देने वाली तस्वीरें सामने आने के बावजूद बेसिक शिक्षाधिकारी ने उन पर आज तक कोई कार्रवाई नही की है। पूंछने पर वे जांच कराने और रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई करने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। राज्य सरकार जब शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कड़े फैसले ले रही हैं उस समय ऐसे अधिकारियों की कार्यशैली ने उसके संकल्प को मजाक बनाकर रख दिया है।

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