उरई । गठबंधन की एकजुटता के मेगा शो के बीच सपा के जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह यादव दादी की अध्यक्षता में आयोजित सभा में बसपा के ज़ोन कोआर्डिनेटर लालाराम अहिरवार ने जालौन –गरौठा-भोगनीपुर संसदीय क्षेत्र के लिए पूर्व विधायक अजय सिंह पंकज को प्रत्याशी बनाने की बहुप्रतीक्षित घोषणा की ।

स्थानीय तुलसीधाम उत्सव गृह में शनिवार को बसपा का बड़ा सम्मेलन आयोजित किया गया । खास बात यह थी कि इस सम्मेलन में सपा के भी सभी स्थानीय दिग्गज मौजूद थे जिनमें जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह दादी के साथ पूर्व मंत्री श्रीराम पाल , दयाशंकर वर्मा और इन्द्र्जीत सिंह यादव , सुरेन्द्र मौखरी, सोहराब खान भी थे । सभा के दौरान बसपा-सपा जिंदाबाद के नारे भी जम कर गुंजाए गए । संचालन उदयवीर सिंह दोहरे ने किया ।

सपा , बसपा को मिला एक –एक बार मौका

इस संसदीय क्षेत्र के हालिया पुनर्गठन के बाद नए परिसीमन के तहत पहला चुनाव 2009 में हुआ जिसमें सपा के घनश्याम अनुरागी ने उस समय के निवर्तमान भाजपा सांसद भानु वर्मा को हराया था । 2014 के दूसरे चुनाव में भानु वर्मा चुनावी वैतरणी फिर पार कर ले गए जबकि सपा तीसरे स्थान पर खिसक गई । दूसरा स्थान बसपा से बृजलाल खाबरी को मिला ।  इस संसदीय क्षेत्र में सपा और बसपा को एक –एक बार मौका मिल चुका है । बसपा की अभी तक की इकलौती सफलता 1999 में दर्ज है जिसमें बृजलाल खाबरी जीते थे । वैसे सपा 1989 की जीत को भी अपने खाते में दर्ज करती है हालांकि उस समय सपा का गठन नहीं हुआ था । रामसेवक भाटिया इस चुनाव में जनता दल के टिकट पर सांसद हुए थे जो कि मुलायम सिंह के कोटे के उम्मीदवार थे । फिर भी इस सीट को वर्तमान गठबंधन में बसपा के हवाले किया गया क्योंकि गत चुनाव के अलावा 1991, 1996 ,1998 , 2004 और 2009 में भी बसपा के ही उम्मीदवार 2 नंबर पर रहे थे ।

अटलजी की रथयात्रा कह गए कोआर्डिनेटर

ज़ोन कोआर्डिनेटर लालाराम अहिरवार ने प्रत्याशिता की घोषणा के पहले अपनी पार्टी के चुनावी एजेंडे पर लंबा भाषण दिया जिसमें एक बार फिर  न्होने सर्वजन की बजाय पार्टी के बहुजन लाइन पर आ जाने का संकेत दिया । भाषण में उन्होने 1991 की बहुचर्चित रथयात्रा का भी प्रसंग समेटा लेकिन वे भूल गए कि यह रथ यात्रा लालकृष्ण आडवाणी ने निकाली थी न कि अटल जी ने । उन्होने इसे अटल जी की रथ यात्रा बता डाला ।

पंकज का प्रोफ़ायल

बसपा द्वारा उम्मीदवार बनाये गए अजय सिंह पंकज 2007 में कोंच क्षेत्र से बसपा के ही टिकट पर विधायक चुने गए थे । इसके बाद पार्टी ने 2012 और 2017 में न केवल उन्हे उम्मीदवार नहीं बनाया बल्कि पार्टी से भी निष्कासित कर दिया था । कुछ ही दिन पहले उनकी पार्टी में वापसी हुई । पंकज के पिता राम प्रसाद अहिरवार भी 1980 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक रह चुके हैं ।

नदारत रहे अनुरागी और विजय चौधरी

सपा से गठबंधन होने के बाद बसपा की उम्मीदवारी के लिए लंबी लाइन लग गई थी । सपा  छोड़ कर बसपा में शामिल हुए पूर्व सांसद घनश्याम अनुरागी का नाम शुरू में इनमें सर्वोपरि रहा । इसके बाद जगजीवनराम अहिरवार , सेवानिवृत्त डी एफ़ ओ बाबूराम , विजय चौधरी और पंकज प्रमुखता से दौड़ में शामिल हो गए । लेकिन पार्टी ने पंकज को मौका दिया । आज उनके नाम के ऐलान के मौके पर घनश्याम अनुरागी और विजय चौधरी का नदारत रहना चर्चा का विषय रहा ।

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