उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में गत बुधवार को कलेक्ट्रेट में जिला योजना समिति की बैठक के दौरान भाजपा के सांसद शरद त्रिपाठी और विधायक राकेश बघेल के बीच प्रभारी मंत्री आशुतोष टंडन की मौजूदगी में हुई जूतम पैजार के मामले में दोनों में से किसी पर कार्रवाई की हिम्मत पार्टी का नेतृत्व नहीं जुटा पाया है । खबर है कि इसके दृश्य वायरल हो जाने से हुई बड़ी किरकिरी के बाद भी  पार्टी इस मामले में दोनों में से किसी पर कार्रवाई करने से कतरा रही है क्योंकि यह घटना ठाकुर बनाम ब्राह्मण संघर्ष का रूप ले रही है जिसका विस्तार समूचे पूर्वाञ्चल में हो सकता है जो चुनाव में पार्टी पर बहुत भारी पड़ेगा ।

सरकार बनते ही पता चल गया था मर्ज

भाजपा के माननीयों के जिस मर्ज की वजह से संत कबीर नगर में पानी सिर के ऊपर होने की नौबत आई उसका पता प्रदेश में योगी सरकार बनते ही चल गया था । वृंदावन में संघ की समन्वय समिति की बैठक में पार्टी के नव निर्वाचित विधायकों और सांसदों के लूट खसोट में जुट जाने से छवि खराब होने का मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया गया था जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर लगाम लगाने का भरोसा दिलाया था लेकिन आज तक किसी माननीय पर न ही मुख्यमंत्री और न सरकार की ओर से कोई कार्रवाई हुई है जिससे मर्ज बढ़ता गया और लूट खसोट की इन्तहा के चलते पार्टी के लोगों के बीच आपस में ही अखाड़ेबाजी की नौबत आ गई ।

चाल , चरित्र और चेहरा

भाजपा शुरू से ही चाल ,चरित्र और चेहरे के नारे को ध्येय वाक्य की तरह बुलंद करती रही है जिसकी व्याख्या बतौर स्लोगन पार्टी विद अ डिफरेंस के तौर पर की गई । कल्याण सिंह जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे उस समय वे इसे ले कर बहुत संजीदा थे । बुंदेलखंड के एक हिस्ट्रीशीटर विधायक का पुलिस से झगड़े का मामला उनके सामने आया जो बाद में सांसद बना । उसके ख़िलाफ़ दर्ज मुकदमों का अंबार देख कर कल्याण सिंह ने उसकी जमकर क्लास ले ली । कहा कि तुनहे किसी ने गलत टिकट दिला दिया है । मुझे पता होता तो तुम्हें टिकट ही नहीं मिल पाता । अब अपराधियों की पैरवी के लिए पुलिस में जाने की बजाय अच्छे काम करो ताकि अगली बार पार्टी तुम्हारा टिकट बहाल रह सके । उस माननीय को साँप ही सूंघ गया । इसी अंचल के एक और तीरंदाज विधायक अवैध खनन के लिए अपने जिले के जिलाधिकारी पर दबाब बनाने गए । कल्याण सिंह ने उनकी वो गत बनाई कि आखिर में पार्टी ही छोड़ गए । आज पार्टी अपने तमाम जलजले के वाबजूद उद्दंड माननीयों के आगे शरणागत है।

जिताऊ उम्मीदवार फोबिया

सपा , बसपा जैसी पार्टियां इलाक़े के दबंगों को सिर माथे ले कर चलीं क्योंकि उनके जरिये ही इन पार्टियों ने अपना विस्तार किया है । इस बीच भाजपा कमजोर रही जिससे अपने अस्तित्व के लिए उसे भी ऐसे तत्वों का सहारा लेना पड़ा । लेकिन भाजपा तो मोदी युग में भी जिताऊ फोबिया से नहीं उबर पा रही है । हाल के विधानसभा चुनाव में हर किसी को उसकी प्रचंड आंधी दिखाई दे रही थी फिर भी बुंदेलखंड में ही उसने आयात करके ऐसे नेता को टिकट दे डाला जिस पर सामूहिक हत्याओं का आरोप था । साथ ही भाजपा के आधार वोट ने भी उसके टिकट की ख़िलाफ़त की लेकिन फिर भी परवाह नहीं की गई । ऐसे तत्वों की भरमार के ही कारण भाजपा को शर्मसार होना पड़ रहा है जिसका उदाहरण उन्नाव के बलात्कार के मामले में आरोपित विधायक हैं ।

अवसरवादी गठबंधन

भाजपा कमजोर आत्मबल के कारण ही किसी मत पर स्थिर नहीं हो पा रही है जो देश और समाज को दिशाहीनता के गर्त में धकेलने की वजह बन सकती है । न केवल लोकसभा चुनाव में भी उसके द्वारा जिताऊ के नाम पर बदनाम नेताओं को एक बार फिर सिर चढ़ाने के आसार हैं बल्कि ओम प्रकाश राजभर और अपना दल के साथ यह जानते हुए भी कि उनके रास्ते अलग हैं चुनावी समझोता जारी रख वह  धूर्तता की पराकाष्ठा से बाज नहीं आ रही ।

 

 

 

जातिवादी कौन

संत कबीर नगर के घटनाक्रम ने  एक बार फिर यह बात उजागर कर दी है कि जातिवाद की व्याधि का केंद्र कहाँ है । भाजपा जातिवाद के उन्मूलन के नाम पर जिन जातियों के प्रभुत्व को फिर से मजबूत करने का खेल खेलती है वे ही  समस्या की जड़ में हैं ।  उनके बीच सनातन जातियुद्ध चल रहा है और  इस कारण जाति के नाम पर प्रभुत्व की गुंजायश ख़त्म करने के उपायों से ही जातिवाद का उन्मूलन संभव होगा । सामाजिक न्याय के प्रयास इसकी सार्थक पहल जबकि भाजपा इसके विरुद्ध जनमत संगठित करने में कसर नहीं छोड़ रही है ।

 

Leave a comment

I'm Emily

Welcome to Nook, my cozy corner of the internet dedicated to all things homemade and delightful. Here, I invite you to join me on a journey of creativity, craftsmanship, and all things handmade with a touch of love. Let's get crafty!

Let's connect

Recent posts