
माधौगढ़-उरई । इसे योगी का विकास कहें है या अधिकारियों की हठधर्मिता कि महिलाएं साल भर से दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं लेकिन उनका एकमात्र सहारा पेंशन नहीं बन पा रही। यह एक महिला की कहानी नहीं हर गांव में सैकड़ों महिलाओं की जुबानी है। किसी को विधवा पेंशन तो किसी को दिव्यांग पेंशन की जरूरत है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है। ब्लॉक के मिहोनी गांव में दिव्यांग पूनम देवी पत्नी मुनीम काफी समय पहले अपना आवेदन ऑनलाइन कर चुके लेकिन आज तक दिव्यांग पेंशन मयस्सर नहीं हो पाई। महिला की हालत यह है कि ना वह पैरों से चल पाती है ना बोल पाती है। फिर भी अधिकारी नहीं पसीजे। ऐसा ही हाल हुकुम पत्नी नारायण सिंह का है। जिनके मजदूर पति का बीमारी की वजह से देहांत हो गया था। आय का कोई स्रोत नहीं है,घर में कोई जमा पूंजी भी नहीं है।नाम मात्र की खेती भी नहीं,पति के देहांत के बाद में 1 अप्रैल 2018 को पारिवारिक लाभ योजना का फॉर्म भर कर अधिकारियों को दे दिया। उसके बाद विधवा पेंशन का भी फॉर्म दिया लेकिन साल भर से अधिकारियों और दफ्तरों की चौखट पर जा जाकर पैरों में छाले पड़ गए लेकिन अब तक पारिवारिक लाभ योजना का फायदा नहीं मिल सका ना जीने का सहारा पेंशन मिल सकी। जबकि ग्राम प्रधान कहते हैं कि शासन का आदेश है कैंप लगाकर पात्र लोगों को पेंशन दिलाई जाए लेकिन जिम्मेदार इतने हठधर्मी हैं कि उन्हें किसी भी गरीब की चिंता नहीं है।






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