उरई । चुनावी व्यवस्था को सिपाही से बने एक दरोगा के लिए दरकिनार किया जाना आश्चर्य का विषय बना हुआ है । कयास लगाये जा रहे हैं कि इस बदनाम दरोगा के लिए आयोग को चकमा देने के पीछे किसी दल के स्वार्थ साधन की मंशा है ।
पुलिस अधीक्षक के जन संपर्क अधिकारी की संवेदनशील जिम्मेदारी सम्हाले हुए शिवप्रताप सिंह को जिले में 3 वर्ष से अधिक सेवाकाल हो जाने के वाबजूद चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुरूप स्थानांतरित न किए जाने पर उंगलियां उठाई जा रही है और इसे राजनीतिक प्रयोजन से जोड़ा जा रहा है । शिव प्रताप सिंह दरोगा बन जाने के वाबजूद अपनी सोच को नहीं बढ़ा पाया है जिसकी वजह से यातायात प्रभारी के रूप में भारी लूटखसोट के इसके चर्चे जोरों पर थे ।
इसी बीच राजनीतिक दबाब के कारण बजाय दंडित होने के यह दरोगा एसपी के पी आर ओ की गुरुतर जिम्मेदारी सम्हालने में कामयाब हो गया । लोगों को फिर भी इस बात से तसल्ली थी कि आयोग के निर्देशों के तहत कार्यकाल पूरा हो जाने से जिले को इससे छुटकारा मिल जायेगा लेकिन तिकड़म के कारण यह अपने को बचाने में सफल रहा ।
इस बीच दरोगा शिवप्रताप सिंह के बारे में पता चला है कि यह सीबी सीआईडी के लिए भी स्थानांतरणाधीन है लेकिन तिकड़मबाजी की वजह से इसने अपने को रिलीव नहीं होने दिया है । इस तथ्य के बाद मामला और संगीन हो गया है क्योकि इससे दरोगा द्वारा चुनाव को प्रभावित करने का अंदेशा और बढ़ जाता है । जागरूक नागरिकों ने ध्यानाकर्षित कराने के लिए चुनाव आयोग को पत्र भेजा है ।






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