माधौगढ़-उरई । सरकारी अध्यापकों की मटरगस्ती का आलम इस हद तक है कि आम पढ़ाई के दिनों में तो उनकी लेटलतीफी जग जाहिर है लेकिन परीक्षा के दौरान भी अध्यापक विद्यालय से नदारद हैं। स्कूल के छात्र परीक्षा देने के लिए स्कूल के प्रांगण में मास्टर जी का इंतजार कर रहे हैं लेकिन मास्टर जी हैं कि आते ही नहीं।

मामला है माधौगढ़ के जमरेही अब्बल गांव का है,जहां पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 9:30 बजे तक अध्यापक मौजूद नहीं थे। विद्यालय में 2 अध्यापक तैनात हैं और दोनों में से एक भी अध्यापक नहीं था। पंजीकृत 54 विद्यार्थी है जिनका आज गणित का पेपर था। मास्टर की लेटलतीफी का कारण जब बीईओ कमलेश गुप्ता से पूछा गया तो पहले उन्होंने अपनी मास्टर का पक्ष लेते हुए कहा ऐसा नहीं हो सकता,बाद में रिपोर्टर ने जब साक्ष्य दिया तो प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक से बात करा कर कंफर्म किया गया कि वास्तविकता में पूर्व माध्यमिक विद्यालय के दोनों अध्यापक नहीं हैं। इस पर बीईओ कमलेश गुप्ता ने कहा दोनों अध्यापक से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और उसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

कार्यवाही के नाम पर होती है खानापूर्ति

मास्टरों की लापरवाही में बीईओ और उच्चअधिकारी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। साल भर अध्यापकों को चेक करने के बाद भी उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। खानापूर्ति के लिए स्पष्टीकरण देने की बात कही जाती और उसके बाद में मामला पता नहीं क्यों खत्म कर दिया जाता है?  साल भर बीईओ द्वारा कई विद्यालय के अध्यापकों को लेटलतीफी पर या अन्य कारणो पर स्पष्टीकरण तो दिया गया लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे यह बात तो स्पष्ट है विद्यालय से लेकर ब्लाक संसाधन केंद्र तक सब मिलीभगत है। जिसके कारण कभी किसी अध्यापक के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।

 

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