
बांदा। जीवन भर खांटी समाजवादी रहे जमुनादास बोस ने भाजपा नेता अशोक त्रिपाठी को आशीर्वाद देकर लोक सभा चुनाव की सरगर्मी से गर्मायी राजनीति को मथकर अकल्पनीय हिलोर पैदा कर दी है।
93 वर्षीय जमुनादास बोस दुर्लभ राजनीतिज्ञों में है। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे, कई बार विधायक चुने गये और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। अब उनके पास एक अदद निजी मालिकाने का घर आज तक नही है। उन्हे आवास देने की पेशकश भी सरकार ने की लेकिन उन्होने विनम्रता पूर्वक अस्वीकार कर दी।
अपने आप में शुचिता की राजनीति के प्रमाण बने हुए जमुना प्रसाद बोस जैसा टकसाली व्यक्तित्व आज के किसी नेता को प्रमाण दे तो उस नेता के लिये यह बहुत बड़ा गौरव है ही लेकिन लोगो के लिये उस नेता पर मजबूत भरोसा करने का अकाट्य आधार भी है, जमुनादास बोस ने पार्टी लाइन पार करके जीतू के लिये जो कुछ कहा उसकी मीमांसा जनमानस में कुछ इसी तरह हो रही है।
जमुनादास बोस ने कहा है कि अशोक त्रिपाठी जीतू को अगर भारतीय जनता पार्टी अपना प्रत्याशी बनाती है तो यह न सिर्फ उनके लिये खुशी की बात होगी बल्कि वे स्वयं उनके लिये वोट भी मांगेंगे। जमुनादास बोस ने जीतू के प्रति यह असाधारण और अभूतपूर्व अनुरक्ति क्यो दिखाई इसका जबाब सहज है।
भले ही बोस जीवन भर समाजवादी रहे और अपनी प्रतिबद्वता को बदलने की वे अभी भी सोच नही सकते लेकिन उनमें संकीर्णता नही है। उन्हे राजनीत में अपने अनुरूप जिन मूल्यों की तलाश है उनके मापदण्डों पर जीतू का खरापन उन्हे भावुक बनाता है। इसीलिए उन्होने ऐसी पहल की जो बांदा-चित्रकूट संसदीय जनमत को प्रभावी तौर पर मोड़ने वाली साबित हो रही है।
जीतू को अभी तक जो भी जिम्मेदारियां मिली उसमें उन्होने उदाहरण पेश किया है। 100 से अधिक शस्त्र लाइसेंस उन्होने भाजपा के सुपात्र कार्यकर्ताओं को दिलाए जिनमें एक पैसे के लेन-देन की चर्चा किसी ने नही कर पाई। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष के रूप में बार के माहौल को निखारने में उनकी भूमिका भी सबकी निगाह में रही है।
लोगो को इमरजेन्सी के दौर में उनकी सेवाए भी वखूबी याद है। जब वे जेल में बंद पार्टी के हर नेता, कार्यकर्ता के परिवार की जरूरतों का ख्याल रखने के लिए तमाम जोखिम उठाकर दौड़-धूप करते रहे थे।
यही कारण है कि जमुनादास बोस की स्पष्टोक्ति के बाद संसदीय क्षेत्र के तमाम प्रमुख लोगों का जीतू के समर्थन मंे मुखर होने का सिलसिला चल पड़ा है।






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