हमीरपुर। बुंदेलखंड में चार लोकसभा सीटों में से दो पर भाजपा ने प्रत्याशियों की घोषणा की है। लेकिन यहां उसकी शुरूआत ही अशुभ रही। जालौन-गरौठा-भोगिनीपुर और हमीरपुर-महोबा में आत्मलीन सांसदों को रिपीट किये जाने से न तो भाजपा के कार्यकर्ता खुश है और न ही आम मतदाता। दूसरी ओर झांसी-ललितपुर और बांदा-चित्रकूट में प्रत्याशियों को पैसे के आधार पर तौला जा रहा है जिसके कारण कोई फैसला अभी तक नही हो पाया है। भाजपा के ही पुराने कैडर से जुड़े लोगों का कहना है कि टिकट वितरण में मनमानी चुनाव में पार्टी को कहीं ले न डूबे।
हमीरपुर-महोबा के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल भी जालौन-गरौठा-भोगिनीपुर के सांसद भानुप्रताप वर्मा की तरह किसी का फोन उठाना तक गंवारा नही करते जरूरतमंद के काम आ जाना तो दूर की बात है। लोगों में उनके प्रति जबर्दस्त गुस्सा है। व्यक्तिगत कार्य के साथ-साथ उन्होनें सार्वजनिक महत्व के कार्यों में भी उन्होंने कोई दिलचस्पी नही ली।
लोगों को उम्मीद थी कि सपा-बसपा गठबंधन के कारण चुनौतीपूर्ण स्थितियों के चलते भाजपा हाईकमान खासतौर पर बुंदेलखंड में फूंक-फूंक कर कदम रखेगा। लेकिन पुलवामा के बाद लोकप्रियता के मद में चूर भाजपा हाईकमान को लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना गंवारा नही हुआ।
उरई में संकल्प रैली में कुछ दर्जन लोगों मात्र की उपस्थिति गांव-गांव में बसों की व्यवस्था की जाने के बावजूद हो सकी। जिससे भाजपा के सूझ-बूझ वाले कार्यकर्ता चुनाव परिणामों की कल्पना करके सहम से गये। कमोवेश यही हालत अभी से हमीरपुर-महोबा क्षेत्र में नजर आ रही है। हालांकि पार्टी कार्यकर्ताओं को दलीय वफादारी के नाते उनके चुनाव प्रचार में जुट जाना पड़ा है।
पिछले लोक सभा चुनाव की तस्वीर पर भी गौर फरमा ले जिसमें पुष्पेंद्र चंदेल को 453884 मत मिले थे। जबकि दूसरे नम्बर पर रहे सपा प्रत्याशी विशम्भर प्रसाद निषाद को 187096 वोट मिल सके थे। तीसरे नम्बर पर बसपा प्रत्याशी राकेश गोस्वामी को 176356 मत पाकर संतोष करना पड़ा था। टिकट वितरण के पहले पूर्व सांसद राजनरायण बुधौलिया के भाजपा मंे शामिल होने से अटकलें लगायी जा रही थी कि उन्हें टिकट मिलेगा और इससे अन्य दलों में बेचैनी बढ़ी थी मगर पार्टी हाईकमान ने जैसे विपक्षी दल को वाकओवर दे दिया हो । मौजूदा में कांगे्रस से प्रीतम सिंह किसान और सपा-बसपा गठबन्धन से दिलीप कुमार सिंह, पुष्पेन्द्र सिंह चुनाव मैदान में हैं। बांदा जनपद के तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र के हमीरपुर-महोबा संसदीय क्षेत्र में जुड़ने से इसे क्षत्रिय बाहुल्य माना जाता है इसीलिए दो राजनैतिक दलों ने अपने उम्मीदवार क्षत्रिय बनाकर दांव लगाया है। जबकि क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या लोधी मतदाताओं की है। पिछले चुनाव परिणाम बताते हैं कि यहां से 7 बार लोधी बिरादरी के लोग सांसद चुने गये हैं। लेकिन भाजपा ने इस तथ्य का भी ख्याल नही रखा।






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