
उरई । विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में जल के संरक्षण एवं उसके सद्पयोग हेतु विकास भवन के सभागार में बुधवार को जिलाधिकारी डा मन्नान अख्तर, की अध्यक्षता में गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसका संचालन उपायुक्त मनरेगा अवधेश दीक्षित द्वारा किया गया। जल संरक्षण एवं उसके सदुपयोग पर बोलते हुए मुख्य विकास अधिकारी, प्रशान्त कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जनपद जालौन में जल उपलब्धता है परन्तु इसका सही तरह से उपयोग नही हो रहा है । उनका सुझाव है कि खेत तालाब पर कार्य अधिक से अधिक किया जाय, जनपद की भौगोलिक स्थिति को दृष्टिगत दलहनी खेती किया जाना सर्वोत्तम है । पूर्व में भी दलहनी खेती जालौन जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में अधिकाधिक होती रही है । वर्तमान में धान, गेंहू व मेंन्था की खेती ज्यादा देखने को मिल रही है । गंहू की पैदावार जल स्तर ऊपर पाये जाने वाले क्षेत्र में की जाये तथा धान व मेंथा की खेती बन्द की जाय । जिलाधिकारी डाॅ मन्नान अख्तर ने अधिकारी, उपस्थित ग्राम प्रतिनिधियों को अधिक से अधिक जल संचयन एवं उसके सद्पयोग के लिए सत्तत प्रयास एवं जागरूकता की शपथ लेकर कार्य करने हेतु अपील की ।
गोष्ठी में कतिपय ग्राम प्रधानो द्वारा नहर का पानी खेत तक न पहुँचने की समस्या बताई गई जिस पर जिलाधिकारी डाॅ मन्नान अख्तर ने एक उदाहरण के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट की कि इजराइल जैसे छोटे देश में बुन्देलखण्ड की वर्षा का 1/8 ही पानी बरसता है । फिर भी वहा का कृषक विश्व स्तरीय खेती जल का संचयन एवं कुशल प्रबन्धन करता है । जनपद के किसान और आम लोग उससे सीख ले । जल की एक-एक बूँद को बरबाद होने से बचाएँ तभी हम उपज भी ज्यादा लेगें एवं भव जल की अनुपलब्धता या कमी के संकट से भी मुक्त हो जायेगे । गोष्ठी में जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ-साथ एक सैकडा से अधिक किसान , ग्राम प्रधान एवं प्रतिनिधि लोग ने भागीदारी सुनिश्चित की । बैठक का संयोजन अधिषासी अभियन्ता, लघु सिंचाई विजय कुमार ने किया ।
आज की गोष्ठी में विचार रखने वाले उपनिदेशक कृषि , अधिशाषी अभियन्ता नहर , जल निगम, सहायक अभियन्ता, लघु सिंचाई, परमार्थ संस्था से अनिल सिंह ,लघु सिंचाई के अवर अभियन्ता रामकुमार पटैरिया के साथ-साथ प्रधान खजुरी, मींगनी, कमठा, कुसेपुरा रहे । धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभा का समापन किया गया।






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