उरई। हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक इंसानियत के उसूलों के हामी सूफी बुजुर्ग हजरत सैयद गेबू शाह बाबा रह. अलैह के 25 वां अजीमुश्शान दो रोजा उर्स मुबारक के पहले दिन मंगलवार को रात्रि में बड़े ही शानो शौकत के साथ महफिल ए कव्वाली का आगाज हुआ। इससे पहले बाबा के आस्ताने पर पूरे शहर के अकीदतमन्दों द्वारा चादर पोशी की रस्म अदा की गई। महफिल ए कव्वाली के शानदार मुकाबले में मेहमान कब्बालों ने पूरी रात समां बांधे रखा। कव्वाली का लुत्फ लेने के लिए बड़ी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया।
प्रोग्राम का आगाज हाफिज आशू बरकाती ने तिलावते रब्बानी से किया। कौमी एकता पर बल देते हुए मुल्क के मशहूर फनकार साबरी जफर आतिश उदयपुर ने पढ़ा कि मेरे भारत जैसा कोई देश नहीं, मेरी बातों में है सच्चाई, मेरा झूठा कोई उपदेश नहीं, मेरा भारत जैसा कोई देश नहीं, मेरे देश ने बख्शी है चारों जानिब खुशाली, जिसमें हिंदू मनाए ईद खुशी से और मुस्लिम दिवाली, मेरे भारत जैसा कोई देश नहीं, सब हिंदू मुसलमां आपस में मिल-मिल के गले यू कहते हैं, उस देश की क्या तारीफ करूं जिस देश में ख्वाजा रहते हैं, मेरे भारत जैसा कोई देश नहीं, यह देश है सूफी संतों का, वलियों का। सब दुनिया भर के झंडों पर, मेरा एक तिरंगा भारी है, मेरे भारत जैसा कोई देश नहीं, इसके बाद फनकारा नसीम रुही गया बिहार ने पढ़ा कि खौफ हो दहशत का, यह तूफान ना होने देंगे, अब कोई भी बस्ती, वीरान ना होने देंगे, हिंदू मुसलमा इस बात का वादा कर लें, मेरे भारत तेरा अपमान ना होने देंगे। उर्स कमेटी के अध्यक्ष इरशाद अहमद टिंकू ने आए हुए अतिथियों का सर पर साफा बांधकर इस्तकबाल किया। वहीं मेहमान कब्बालो का कमेटी के उपाध्यक्ष नोशे ठेकेदार, मुन्ना राइन ने फूल मालाओं से लादकर इस्तकबाल किया। अनीस अंसारी, नाजिम खान, शरीफ अंसारी, काजी उबेद उल्ला गोलू, सोनू बॉडी मेकर, शोएब अहमद, सलीम भैया ने मंच व्यवस्थाओं को संचालित किया। उर्स कमेटी के कोषाध्यक्ष जब्बार अंसारी, पप्पू सुनार ने लेखा जोखा की व्यवस्था संभाली। मीडिया प्रभारी इबादत अली शानू ने कहा कि सरकार गैबू शाह बाबा का यह अजीब अहसान है कि हम जैसे फकीरों से खिदमत ले लेते हैं। प्रोग्राम का संचालन जमाल अहमद, शाबू गोवा ने अपनी मुहावरेदार भाषा शैली से किया।






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