महेश अवस्थी
मुख्यमंत्री एवं पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे को नहीं मिली जीत
हमीरपुर। हमीरपुर जिले में बड़े और बाहरी नेताओ को नकारने की आदत यहां के मतदाताओं की है। इसी मानसिकता के चलते हमीरपुर महोबा संसदीय सीट के मौदहा विधानसभा सीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्द्रभान गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा था। उनके सामने राठ के दीवान शत्रुघ्न सिंह की पत्नी रानी राजेन्द्र कुमारी को चुनाव मैदान मंें उतारा गया था पर मतदान में दो घन्टे पहले फैली अफवाह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री का बेड़ा गर्क कर दिया था। वर्ष 1958 में उपचुनाव में मुख्यमंत्री चन्द्रभान गुप्ता ने पर्चा दाखिल किया उनके सामने रानी राजेन्द्र कुमारी चुनाव मैदान में थी।अफवाह उड़ायी गयी कि चुनाव जीतते ही रानी का डोला मुख्यमंत्री ले जायेंगें। बस जनता भड़क गयी और रानी को विजयश्री दिलायी। चुनाव प्रचार के दौरान हालांकि मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर वे विजयी हुये तो मौदहा का नक्शा बदल देंगें । घर घर जाकर लोगों से बड़े प्यार से मिले मगर हारने के बाद तिलमिला उठे । उन्होंने कहा था कि बुन्देलखण्ड की वीर भूमि में एैसे आरोप उन पर लगेंगें यह बात उन्होंने नहीं सोंची थी। इस उपचुनाव में हारने के बाद वे लगातार तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मगर क्षेत्र पिछड़ता ही चला गया । केवल क्षेत्र के विधायकों का विकास हुआ। रानी राजेन्द्र कुमारी बुन्देलखण्ड की पहली वीरांगना थी जिन्होंने वर्ष 1921 में निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर सत्याग्रह यिका था तब उन्हें जेल हुयी थी ।वे फतेहपुर जिले के गाजीपुर गांव की रहने वालीं थीं और उनकी ससुराल मंगरौठ राठ में थी। इस दौरान उन्होने बेसकीमती जेवर कांग्रेस पार्टी के कोष में जमा कर दिये। वे जिला कांगे्रस कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भाषण देते वर्ष 1930 में कुलपहाड़ थाने में सत्याग्रह कर पुलिस की मौजूदगी में झण्डा फहराया गिरफ्तार हुयीं और उन्हें लखनऊ जेल में 6 माह रहना पड़ा था। 1933 के आन्दोलन में उन्हंे एक साल की सजा हुयी थी। तब अपने अवयस्क पुत्र ढाई साल के साथ जेल में रहीं थीं। इसके बाद उन पर कई मुकदमें हुये और जुर्माना भी हुआ। 1958 के उपचुनाव में सीवी गुप्ता को 6866 , रानी राजेन्द्र कुंमारी 32406 मत मिले थे। सी वी गुप्ता को 25540 मतों से हार का मुंह देखना पड़ा था। चुनाव हारने के बाद सी बी गुप्ता ने मुख्यमंत्री रहते हैं हुए इस क्षेत्र में किसी कार्यक्रम में शरीक नहीं हुयी। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री को भी लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था।






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