अवनीश दुबे विशेष संवाददाता
उरई । दर्जनों मिश्रित गुटखा शहर में विभिन्न-विभिन्न क्षेत्रो में चोरी छिपे बनाए जा रहें है और जिसको लेकर कभी-कभी मुहिम चलाई जाती है परंतु मामला बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। करोड़ो रूपए का यह अवैध व्यापार जो कि कैंसर जैसी बीमारी को कुकरमुत्ता की तरह फैला रहा है फिर भी इस पर रोक नहीं लग पा रहीं है । आखिरकार ऐसे कौन से लोग है जिनकी छत्रछाया में यह धंधा फल फूल रहा है ।
जानकारी के मुताबिक तुलसी नगर, मौनी बाबा मंदिर के सामने, कोंच मोटर स्टैंड व मरघट के पीछे, तुलसी नगर, इन्द्रा नगर के अलावा अडडा मंदिर आदि गुटका निर्माण के बड़े हब बन चुके है । इन जगहों पर मोहित, राज, महाकालेश्वर, गणेश,वर्षा, श्री,पारस,बाँके बिहारी, वीआईपी, के अलावा अन्य गुटखे बनाते हैं जो कि सरेआम बिक रहे है जबकि सुपाड़ी, मिश्रित गुटखा बाजार में नहीं बिक सकता है। इतना हीं नहीं इसके ऊपर अच्छा खासा जुर्माना है और जेल भेजने का प्रावधान भी है परंतु खाद्य अभिहित अधिकारी मोटे सुविधा शुल्क के चलते इनको नजरअंदाज कर देती है! जब ज्यादा प्रेशर पड़ता है तो वो इक्का दुक्का लोगो की चेकिंग करके कागजी खानापूर्ति पूरी कर लेती है । इसके पहले लाखों की गुटखा सामग्री पकड़ी जा चुकीं है परंतु गुटखा बनाने वालो की सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं हुआ । इनका व्यवसाय दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है। हाल ही में विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया जिसमें बताया गया कि 95 प्रतिशत मुंह का कैंसर गुटखे के सेवन होता है। इसके अलावा हार्ट अटैक, फेफेडो के रोग, दृष्टिविहीनता आदि रोग भी इससे पनपते हैं । प्रतिवर्ष लगभग 9 लाख लोग गुटखे का सेवन करने से मर जाते है । इसको रोकने के लिए शासन द्वारा एक टीम भी गठित की गई है जिसमें जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मुख्य चिकित्साधिकारी आदि शामिल है! फिर भी अवैध गुटखे का निर्माण नहीं रूक रहा है। मुख्य सचिव शासन स्तर पर गठित टीम के अध्यक्ष है फिर भी इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है ।
गुटखा व्यवसाय जहां राजस्व को क्षति पहुंचा रहा है वहीं इसके खाने वालों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ रहीं है। तंबाकू सेवन अधिनियम 2003 की धारा 4 के अधीन यह अपराध माना गया है। इसे पकड़े जाने पर भी अच्छा खासा जुर्माना है परंतु प्रतिदिन सुबह कोंच रोड पर स्थित प्राइवेट बस स्टैंड से पुलिस की आंखो के सामने अवैध गुटखा कई जगहों के लिए भेजा जाता है लेकिन न तो कार्यवाही होती है और न हीं पकड़ा जाता है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम तभी सफल हो सकता है जब जर्दा, खैनी, हुक्का, तंबाकू युक्त पान मसाला आदि जो अवैध रूप से बन रहा हैउसको प्रतिबंधित किया जाएं। अन्यथा की स्थिति में यह दिवस मनते रहेंगें और लोग इसके सेवन से मरते रहेंगें। भारत में 100 रोगियों में 40 सिर्फ गुटखा इस्तेमाल करने के कारण मरते है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने लोग प्रतिदिन मर रहे है। विश्व भर में 54 लाख लोग इसका सेवन करने से मरते है। वहीं प्रति साढ़े 6 सेकेंड में एक मौत होती है । इसी धंधे से लोग करोड़पति बन गए है । कहीं न कहीं जनप्रतिनिधि भी इनको शरण दिए हुए है ।







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