उरई। कोरोना संकट के कारण कर्ज लेकर डेयरी खोलने वाले भी गंभीर मुसीबत में आ गये है। फसल कटाई का समय उनके मुनाफे का सीजन होता था जिसमें अब उन्हें बर्बादी झेलनी पड रही है। सरकार अभी तक इस धन्धे से जुडे लोगो की राहत के लिए कुछ नहीं सोच पायी है।
हाल के वर्षाें में बडी प्राइवेट कम्पनियों के दुग्ध व्यवसाय में आ जाने से गांव गलियों में डेयरी का व्यापार जमकर फला फूला था। लोगो ने प्राइवेट कर्जा लेकर आधा एक दर्जन ज्यादा दूध दूने वाले मंहगे मवेशी खरीद कर डेयरी खोल ली थी जिससे उनका घर परिवार काफी हद तक खुशहाल हो गया था।
कटाई के सीजन में मवेशियों का आहार बेझर और भूसा सस्ता मिलने लगता था जबकि दूध महंगा हो जाता था। इसलिए डेयरी वालों को सबसे ज्यादा मुनाफा इसी सीजन में होता था। पर इस बार लाॅक डाउन के कारण उनका धन्धा चैपट है।
शहर में लगभग 50 लोग डेयरी चला रहे है। उनका दूध तो फिर भी बिक जाता है। लेकिन सुदूर गांवों में बडी डेयरी कम्पनियांे की गाडियां नही पहुच रही जिससे दूध की बिक्री बन्द है। नतीजतन आमदनी ठप्प हो गयी है। दूसरी ओर ब्याज चुकाने और मवेशियों को खिलाने पिलाने का खर्चा जेब से करना पड रहा है।
लाॅक डाउन लम्बा खिचने और कोरोना संकट अनिश्चित कालीन नजर आने से डेयरी संचालक अब माथा पीटने लगे है। कई लोगों ने उम्मीद छोडकर औने-पौने दाम में अपने मवेशी बेचने की तैयारी कर ली है। सरकार को शायद पता नहीं है कि इन डेयरियों को चलाने वाले भी रोज कमाने खाने की श्रेणी के गरीब लोग है जिनके लिए राहत के पैकेज की व्यवस्था न की गयी तो हाहाकार और ज्यादा बढ जायेगा।






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