उरई। यहां तक आते-आते सूख जाती है कई नदियंा, मुझे मालूम है पानी कहां ठहरा हुआ होगा। मशहूर गजल गो दुष्यन्त कुमार ने यह पंक्तियां कई दशक पहले लिखी थी लेकिन सरकारी योजनाओं के ठहराव की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुयी है। जो बनायी तो जाती है गरीबो के लिए लेकिन उनका फायदा गरीबों को महसूस हो इसके पहले ही भ्रष्टाचार के परनाले में चुक जाती है।
कोरोना संकट में यह तस्वीर खुलकर फिर सामने आ रही है कोंच रोड पर गरीबों के लिए बनी काॅलोनी का मंजर इस दौर में सबसे ज्यादा भयावह है। दूसरी ओर यहां सरकारी व्यवस्थाओं की बिडम्बनायें भी यहां बहुत उजागर हो रही है। चंद्रशेखर की कहानी इसका उदाहरण है। वे मजदूर और गृहहीन है लेकिन उन्हें कांशीराम काॅलोनी में आवास नहीं मिल सका । आवास ऐसे को मिला जो पटेल नगर स्टेशन रोड पर अपने मकान में रह रहा था। चन्द्रशेखर ने कांशीराम काॅलोनी का उसका आवास 800 रूपये महीने के मंहगे किराये पर ले रखा है। लाॅक डाउन के कारण दिहाडी मजदूरी न मिल पाने से उसे किराया चुकाना तो दूर पेट तक भरना मुश्किल है।
रामविहारी भी इसी काॅलोनी का बाशिन्दा है। उसके घर में पांच लोग है पर कमाने वाला वह अकेला है। मजदूरी न मिलने से उसका भी चूल्हा ठन्डा नजर आ रहा है। फिलहाल तो समाजसेवियों से मिले राशन से कुछ काम चल गया है। इस काॅलोनी की गोमती सविता, वृद्धा तारा देवी, मेवारानी, नन्दकिशोर आदि ज्यादातर बाशिन्दों के घर भूखमरी पैर पसार रही है।

Leave a comment

I'm Emily

Welcome to Nook, my cozy corner of the internet dedicated to all things homemade and delightful. Here, I invite you to join me on a journey of creativity, craftsmanship, and all things handmade with a touch of love. Let's get crafty!

Let's connect

Recent posts