उरई। गरीबों के लिए बनायी गयी सजीली काॅलोनी शहर के अंडरवल्र्ड कोने में तब्दील होने की ओर अग्रसर है। जरायम का कोई ऐसा पहलू नहीं है जिससे यह काॅलोनी अछूती रह गयी हो।
कोंच रोड पर कांशीराम गरीब आवास योजना के तहत बनायी गयी इस काॅलोनी में सिविलाइजेशन के मानको के अनुरूप वह सब कुछ मुहैया कराया गया था। जिससे गरीब गरिमापूर्ण ढ़ग से जीवन व्यतीत करने का अवसर प्राप्त कर सके। उम्मीद की गयी थी कि अच्छे माहौल में परवरिश पाकर गरीबों के नौनिहालों में अपने को गुदडी का लाल साबित होने की होड लगेगी। एक दिन यह काॅलोनी गरीबी के कीचड़ मे ही प्रतिभाओ के कमल खिलने का उदाहरण साबित होगी लेकिन हो उल्टा रहा है। इस काॅलोनी को सफेद पोशो की ऐसी नजर लग गयी है कि अब इसकी गिनती शहर के सबसे बदनाम इलाके के रूप में होने लगी है।
काॅलोनी में पहली गलती यह हुयी कि इसमें अपात्रों के आवंटन कर दिये गये जो कई बार के सत्यापन सर्वे के बाबजूद खत्म नहीं हो सके है। अपात्रों ने अपने आवास शहर के मनचले रईसों को सौप दिये है। जिससे देह व्यापार के बडे अडडे यहां चल उठे है। गांजा, चरस, स्मैक आदि के गोदाम की तरह कई आवास तबदील किये जा चुके है। रात में अंधेरा जैसे -जैसे बढता है वैसे-वैसे लग्जरी गाडियों की रोशनियां इस इलाके में फैलने लगती है। नौनिहालों का जरायम टेªनिंग सेन्टर बनती जा रही है काॅलोनी और यहा की पुलिस को नहीं मालूम कि थोडे लालच में यहां दादाओं को शह देकर वह भस्मासुर पाल रही है। अगर अंडरवल्र्ड बननें के नक्शे कदम पर इसी तेजी से काॅलोनी बढती रही तो एक दिन पुलिस का सबसे बडा सर दर्द बन जायेगी।
जो लोग इसका विरोध करते है उनकी जान पर बन आती है। समाजसेवी देवेन्द्र सिंह आजाद पिछले दिनों इनके हाथों शहीद हो गये होते अगर पुलिस अधीक्षक डा0 सतीश कुमार ने समय पर उनका संरक्षण न किया होता। देवेन्द्र आजाद भी कहते है कि पुलिस अधीक्षक की मंशा काॅलोनी के माहौल को ठीक करने की है। बशर्ते निचले स्तर का पुलिस स्टाफ उनका सहयोग करे।






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