एट। वन विभाग के क्षेत्र में बंजर पड़ी ढाई सौ हेक्टेयर जमीन में हरियाली लहराने के लिए मृदा जल संरक्षण योजना के अंतर्गत कार्ययोजना तैयार करके कार्य कराया जा रहा है जिससे सूखे पड़े जंगलों को फिर से हराभरा बनाया जा सके। साथ में किसानों की जमीनों को भी उपजाऊ बनाने में योजना कारगर साबित होगी। गांव में किसानों की गोष्ठी करते हुए वन क्षेत्राधिकारी सत्येंद्र सिंह ने बताया कि बरसात के पानी को इक_ा करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इससे गांव का जल स्तर भी बढ़ेगा। साथ में पानी की बर्बादी भी नहीं होगी।
बेतवा नदी किनारे एट वन रेंज में पडऩे वाले गांव सिकरी व्यास एवं अमरोहा में सूख रहे जंगल एवं पर्यावरण को बचाने के लिए वन विभाग द्वारा एक अनोखा प्रयोग करके जंगल को फिर से हराभरा एवं पर्यावरण का सुधार करने के लिए मृदा जल संरक्षण कार्य करीब ढाई सौ हेक्टेयर जमीन पर किया जा रहा है। वन विभाग की बंजर पड़ी खाली जमीन पर दोनों गांव में बरसात के बहते हुए पानी को रोकने के लिए बड़े बड़े बंधे बनाकर कार्य किया जा रहा है जिससे बरसात का पानी नदी और नालों में न जाकर उन बंधों में इकट्ठा किया जाएगा जिससे इकट्ठे हुए पानी से जंगलों में पेड़ पौधे लगाकर साथ में किसानों की बंजर पड़ी जमीन को भी उपजाऊ बनाने के लिए प्रयास होगा। वन क्षेत्राधिकारी सत्येंद्र सिंह ने बताया सिकरी व्यास में डेढ़ सौ हेक्टेयर एवं अमरोहा गांव में सौ हेक्टेयर जमीन का समतलीकरण कराया गया है जिससे तालाबों में बरसात के दिनों में जलभराव होगा जिससे वहां भूमि भी सुरक्षित होगी और गांव का जल स्तर भी बढ़ेगा। बंधा निर्माण एवं गड्ढे करवाए गए हैं जिनमें बीज बोए जाएंगे तथा पौधरोपण भी कराया जाएगा। मृदा संरक्षण जल संरक्षण के तहत कार्य करवाया जा रहा है। वहीं किसानों की खाली पड़ी बंजर जमीन भी उपजाऊ हो जाएगी। उन तालाबों से किसान भी अपने अपने खेतों में पानी लगाकर सब्जी फुलवारी जैसे कार्य कर सकते हैं। वहीं वन दारोगा जावेद खान ने बताया कि इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए सला घाट पर करीब पांच सौ हेक्टेयर जमीन पर पौध लगाने का कार्य किया गया था जो कि सफल रहा है। वहां का क्षेत्र भी हराभरा दिखने लगा है। गोष्ठी में ग्रामीणों से कहा गया है कि इस कार्य में वह भी वन विभाग का सहयोग करें जिससे क्षेत्र में पड़ी बंजर जमीन को हराभरा एवं उपजाऊ बनाया जा सके।






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