
सिरसा कलार-उरई। लम्बे लाॅकडाउन के चलते लोगों ने अपनी दिनचर्या में परिवर्तन किया है जिससे कई लोगों की जिंदगी में ताजगी आ गई है।
जहटौली निवासी ब्रह्मकिशोर शुक्ला का कहना है कि पहले वे दिनभर आपा धापी में व्यस्त रहते थे जिससे उनके काम पूरे नहीं हो पाते थे और वे चिड़चिड़ेपन के शिकार हो गये थे पर लाॅकडाउन की वजह से फुर्सत हो गई तो उन्हें भी समय गुजारने के लिए अपना ढर्रा बदलना पड़ा। अब महसूस हो रहा है कि इससे उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ है। वे सुबह सूर्य निकलने के पहले नहा लेते हैं जिसके बाद ध्यान लगाकर बैठ जाते हैं। इस अभ्यास को उन्होंने धीरे-धीरे कर काफी बढ़ा लिया है जिससे पूरे दिन उनमें स्फूर्ति और उल्लास बना रहता है।
जखा के रामशंकर का कहना है कि इंदौर में सब्जी की रेहड़ी लगाते थे कमाई अच्छी थी लेकिन फिर भी मानसिक परेशानियां रहती थी। किसी तरह से लाॅकडाउन में ही वे घर वापस चले आये। कुछ दूर पैदल चले फिर वाहन मिला। गांव आने पर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटाइन कर दिया गया।
दिनभर बिजी रहने वाले का वक्त कैसे कटे। सो उन्होंने पूरे घर की लिपाई पुताई कर डाली। वे संबंध जो कि महीनों संपर्क न होने की वजह से ठंडे पड़ गये थे उन्हें रिश्तेदारों को फोन करके फिर गर्मजोश किया। सुबह वे एक घंटे देवी मां का ध्यान करते हैं। महाभारत सीरियल के समय एक घंटे का समय वे मोबाइल पर उसे देखने में गुजारते हैं। अब जिंदगी उन्हें पहले से मस्त लगने लगी है।
जखा के ही मंगल गुजरात में थे। वे भी सब्जियां बेचते थे। उन्हें लौटने पर जब क्वारंटाइन किया गया तो पहले बहुत ऊब हुई। इसके बाद उन्होंने दिनचर्या को नये सिरे से व्यवस्थित किया। टीवी पर धार्मिक सीरियल देखने लगे। पहले किताबे पढ़ने का बड़ा शौक था लेकिन जिंदगी की भागदौड़ में किताबों से काफी दूर हो गया था। अब फिर किताबों से नाता जोड़ बैठा हूं। कहानियों में लीन हो जाता हूं तो समय पता ही नहीं चलता। घर परिवार की जिम्मेदारियां न हो तो इससे बढ़िया जिंदगी दूसरी कोई नहीं है।






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