परमार्थ समाज सेवी संस्थान के द्वारा बुंदेलखंड में जल संरक्षण के सामुदायिक प्रयासों एवं गांव-गांव में जल सहेलियों द्वारा किए गए कार्यों को एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने अपने आगामी सत्र में पाठ्य पुस्तक ’’भारत का भूगोल’’ में शामिल किया है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में एनसीईआरटी का कोर्स पढाया जाता है। भारत का भूगोल का यह पाठ्य पुस्तक कक्षा 6 से कक्षा 8 के छात्र, छात्राओं को पढ़ायी जाएगी।
मालूम हो कि परमार्थ समाज सेवी संस्थान पिछले 25 वर्षों से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में जल संरक्षण और जल संवर्धन का कार्य कर रहा है। इस दौरान संगठन के सचिव डॉ संजय सिंह, निदेशक अनिल सिंह एवं कार्यकर्ताओ ने मेहनत से बुंदेलखंड के 100 ग्रामों में पानी के मॉडल खड़े किए हैं। जो देश-विदेश में चर्चित है, इन 100 ग्रामों में जल संरक्षण के कार्यों के साथ नवाचार करते हुए विभिन्न जल संरचनाओं का निर्माण किया है। संस्था ने गांव-गांव में पानी पंचायत का गठन किया है। इसी तरह जल सहेलियों का एक अद्भुत मॉडल खड़ा किया है। ये जल सहेलियां जिनकी संख्या 776 है।
यह जल सहेलियां जल संरक्षण और जल संवर्धन के लिए  तालाबों के संरक्षण और संवर्धन के साथ उनके पुनर्जीवन के लिए भी काम करती हैं, यह हैंडपंपों का रखरखाव उसकी छोटी मोटी खराबी को दूर कर गांव वालों को पेयजल की आपूर्ति कराने का काम करती हैं। इसके अलावा पुरानी जल संरचनाओं की सुरक्षा तथा नई जल संरचनाओं का निर्माण का भी कार्य  करती हैं। गांव-गांव में पानी पंचायत की नियमित बैठकों में समुदाय के साथ मिलकर पानी का बजट बनाने तथा आॅडिट कराने का भी कार्य करती है। परमार्थ  संस्थान ने पेयजल सुरक्षा कार्ययोजना तैयार की है। संस्था की जल सहेली का मॉडल देश विदेश में चर्चित है। इस कार्य में राज्य समन्वयक मानवेंद्र सिंह, सतीश, संतोष के साथ जल सहेली के रूप में जल संरक्षण और जल संवर्धन के कार्य को गांव-गांव पहुंचाने के लिए शिवानी, सुषमा, पार्वती, गीता, लक्ष्मी, सीमा, श्रीकुवंर सहित सैकडो जल सहेलियो का महत्वपूर्ण योगदान है। संस्थान ने पेयजल सुरक्षा की जो कार्य योजना बनाई है, जिसमें पानी का पहला अधिकार महिला का होना चाहिए। कार्य योजना में इसे प्रमुखता से  जोड़ा है। संस्था के मॉडल जल सहेली और उसके द्वारा किए गए कार्यों को  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार ने सम्मानित किया है। वहीं वर्ष  2019 में परमार्थ समाज सेवी संस्थान के बुंदेलखंड में जल संरक्षण के सामुदायिक प्रयासों एवं गांव-गांव में जल सहेलियों के द्वारा किए गए कार्यों को जलशक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के मंत्री गजेन्द सिह शेखावत ने प्रथम पुरस्कार देकर सम्मानित किया था। इन्ही जल संरक्षण और जल संवर्धन के कार्यो की छात्र, छात्राओ  को जानकारी देने के लिए एनसीईआरटी ने आगामी सत्रों में अपनी पाठ्य पुस्तक ’’भारत के भूगोल’’ मे शामिल किया है। बुन्देलखण्ड के लिए गौरव की बात है कि किसी सामाजिक संस्थान के प्रयासों को एनसीआइटी के पाठयक्रम में पहली बार शामिल किया गया है। इससे बुंदेलखंड का नाम देश और विदेश मे रौशन होगा।

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